मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 17 अप्रैल: मानव रचना में हरियाणा पुलिस के द्वारा अपराधिक अभियोग पर एक्सपर्ट कार्यशाला का आयोजन मानव रचना कैंपस में किया गया। भारत में अपराधिक अभियोग की गहराई से जानकारी प्रदान करने के लिए एक्सपर्ट इस मंच पर पहुंचे। एक्सपर्ट ने अपनी अनुभवों के आधार पर विषय से जुड़ी गहरी व जरूरी जानकारी सांझा की। इस मंच पर दिल्ली, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश, न्यायतंत्र के न्यायिक अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, चुने गए आईओ, सरकारी वकील व अन्य वकील शामिल रहे। कार्यशाला में क्रिमिनल जांच के अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा की गई ताकि सभी पक्ष एक ही प्लेटफार्म पर रहकर अपनी ड्यूटी को बेहतर तरीके से निभा सके।
इस मौके पर कार्यशाला का उद्वघाटन सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के माननीय न्यायाधीश जस्ती चेलामेश्वर ने किया। उद्वघाटन सत्र की अध्यक्षता मद्रास हाईकोर्ट की माननीय न्यायाधीश इंदिरा बेनर्जी ने की। वहीं इस मौके पर हाईकोर्ट ऑफ पंजाब व हरियाणा के माननीय न्यायधीश ए.के मित्तल, हाईकोर्ट ऑफ पंजाब व हरियाणा के न्यायधीश राजेश बिंदल, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जी.एस सिस्तानी, पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजन गुप्ता, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जे.आर मिधा, फरीदाबाद के डिस्ट्रिक्ट व सैशन जज इंद्रजीत मेहता, हरियाणा सरकार के एडिश्नल चीफ सैक्रेटरी रामनिवास, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व ए.एन.एस नाडकर्णी, मानव रचना शैक्षणिक संस्थान एमआरईआई के प्रेसिडेंट डॉ० प्रशांत भल्ला व वाइस प्रेसिडेंट डॉ० अमित भल्ला मौजूद रहे।
कार्यशाला के संयोजन फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर आईपीएस डा० हनीफ कुरैशी, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के एडवोकेट आन रिकार्ड दिव्याकांत लाहोटी, सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट शशांक गर्ग रहे।
कार्यशाला में अलग-अलग विषयों पर सत्रों का आयोजन किया गया। उद्वघाटन सत्र में रिफोर्मिंग द क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम, रोल ऑफ कोर्ट एंड डयूटीज ऑफ पुलिस आफिसर, फाइनैनशियल फ्राड, साइब क्राइम्स एंड प्रिवैंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट, 2002-प्रिजन रिफोर्म के फीचर, जूनैलियन जस्टिस 2015- प्रिवैंशन ऑफ करप्शन एंक 1988-रोल ऑफ फोरेंसिक्स इन क्रिमिनल इंवैस्टिगल एंड प्रोसिक्यूशन आदि पर चर्चा हुई।
इस मौके पर बोलते हुए मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के माननीय न्यायाधीश जस्ती चेलामेश्वर ने कहा कि मेरी समवेदना पुलिस वालों के साथ है क्योंकि वह गहरे तनाव में काम कहे हैं, लेकिन जो काम वह कर रहे हैं वह संवैधानिक व्यवस्था के लिए महान काम है। चिंता का विषय यह है कि हमारे देश में सजा दर बहुत कम है और इस कारण लायर व इंवेस्टिगेटर के काम में कमी को माना जा सकता है। यहां पर जो पुलिस आफिसर जांच करते हैं वहां लॉ एंड आर्डर की स्थिति को संभालते हैं। अपराधिक जांच के लिए अलग से विंग होनी चाहिए। जब तक हमारे देश के लॉ मेकर इन बदलावों को लागू कराने के लिए कदम नहीं उठाते, तब तक बदलाव संभव नहीं है।
इस मौके इस विषय से जुड़े अपने अनुभवों को सांझा करते हुए माननीय न्यायाधीश इंदिरा बैनर्जी ने कहा कि क्रिमिनल एडमिनिस्ट्रेशन का उद्वेश्य लॉ के नियम की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि फारेंसिक जांच के आभाव में सही न्याय होना मुश्किल है, जैसे मुस्सिफल कस्बों के केस में देखा गया था। उन्होंने कहा कि जांच सिस्टम को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि पुलिस व प्रोसिक्यूटर के बीच बेहतर तालमेल हो। उन्होंने ट्रेनिंग की जरूरत, संवेदीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार नई तकनीक का प्रयोग आदि के बारे में भी जानकारी दी।
इस मौके पर बोलते हुए हरियाणा के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस डॉ० केपी सिंह ने एविडेंस के नियमों को दोबारा से लिखे जाने पर प्रकाश डाला।