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निर्भया गैंगरेप कांड में एससी के फैसले सेे मिला पीडि़त के परिजनों को इंसाफ

मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर/ पूजा कपूर की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 5 मई: पूरे देश और सिस्टम को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों को फांसी की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्भया कांड को सदमे की सुनामी बताया कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। चारों दोषियों ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम में अर्जी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को सुनवाई के बाद इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 5 मई-2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना फैसला पढ़ते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।
पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया को अपनी हवस का शिकार बनाया और जिनकी वजह से आज निर्भया हमारे बीच नहीं है।

जानते हैं निर्भया के सभी दोषियों के बारे में:
राम सिंह: राम सिंह बस ड्राइवर था। जिस चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस बस को राम सिंह ही चला रहा था। राम सिंह इस वारदात का मुख्य आरोपी था। राम सिंह ने गैंगरेप करने के साथ ही निर्भया और उसके दोस्त को लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा था। घटना के महज कुछ घंटों बाद पुलिस ने राम सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। 11 मार्च- 2013 को राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी।
मुकेश सिंह: मुकेश सिंह बस का क्लीनर था। जिस रात बस में गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह भी बस में सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था। मुकेश सिंह अभी तिहाड़ जेल में बंद है।
विनय शर्मा: विनय शर्मा पेशे से फिटनेस ट्रेनर था। जब इसके पांच अन्य साथी निर्भया के साथ गैंगरेप कर रहे थे तो यह बस चला रहा था। अन्य दोषियों के साथ विनय तिहाड़ जेल में कैद है और वह यूनिवर्सिटी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। विनय ने पिछले साल जेल के भीतर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन वह बच गया।
पवन गुप्ता: पवन गुप्ता दिल्ली में फल बेचने का काम करता था। 16 दिसंबर को गैंगरेप के समय यह भी अपने दोस्तों के साथ उस बस में मौजूद था। फिलहाल पवन गुप्ता भी तिहाड़ जेल नंबर दो में अन्य दोषियों के साथ बंद है। पवन भी जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।
अक्षय ठाकुर: बिहार का रहने वाला अक्षय ठाकुर अपनी पढ़ाई छोड़कर घर से भागकर दिल्ली आ गया था। यहां उसकी दोस्ती राम सिंह से हुई थी। राम सिंह के सहारे वह फल बेचने वाले पवन गुप्ता से भी घुल-मिल गया था। तिहाड़ जेल में कैद अक्षय ठाकुर ने जेल में अपनी जान को खतरा बताया था। जिसके बाद इसकी सुरक्षा को और ज्यादा चाक-चौबंद कर दिया गया।
नाबालिग दोषी: गैंगरेप का छठा आरोपी एक नाबालिग है। इसी शख्स ने निर्भया को बस में चढऩे का आग्रह किया था। घटना के वक्त वह नाबालिग था। नतीजतन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ उसे सुधार केंद्र में भेजा था। दिसंबर-2015 में सजा पूरी करने केबाद उसे रिहा कर दिया गया। दावा है कि गैंगरेप के दौरान निर्भया से सबसे ज्यादा दरिंदगी इसी नाबालिग ने की थी।
केस स्टेटस: सभी 6 आरोपियों के खिलाफ बलात्कार अपहरण और हत्या का मामला दर्ज हुआ। फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चला। 13 सितंबर-2013 को चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई और नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया। 13 मार्च-2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। 5 मई-2017 यानी शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।


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