मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 25 अक्टूबर: हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने के नाम पर प्रशासन द्वारा अधिकृत सैंटर संचालकों द्वारा लोगों से आजकल जमकर हेरा-फेरी की जा रही है। सैंटर पर बैठे कर्मचारियों द्वारा लोगों से नंबर प्लेट बनाने के नाम पर भारी गोलमाल हो रहा है। यहां तक कि लोगों से पैसे लेकर उन्हें कम्प्यूटराईज्ड पर्ची देने की बजाए उन्हें एक सादे कागज पर पर्ची लिखकर दी जा रही है और उन्हें नंबर प्लेट के लिए महीनों घुमाया जा रहा है फिर भी उन्हें उनकी नंबर प्लेट नहीं मिल रही है। वहीं थाने में एफआईआर लिखवाने के पैसे लेने के आरोप भी इन पर लग रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला आज उस समय सामने आया जब 5एम/39 एनआईटी फरीदाबाद निवासी राजबीर पुत्र श्री नंदकिशोर गांधी कालोनी के लिंक उत्सव रजिस्ट्रेशन प्लेट्स प्राईवेट लिमिटेड नामक उक्त सैंटर पर अपनी बाईक की नंबर प्लेट लेने पहुंचा और वहां बैठै कर्मचारियों ने उससे गाली-गलौच शुरू कर दी। अपने साथ हुई धोखाधड़ी करने व अपने पैसे की रसीद मांगने पर गाली-गलौच कर जान से मारने की धमकी देने की शिकायत राजबीर ने पुलिस कमिश्रर और जिला उपायुक्त को लिखित में की है।
राजबीर ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह पांच नंबर मार्किट में रेहड़ी लगाकर अपने परिवार का गुजारा चलाता है। उसके पास मार्च 2011 मॉडल एक पुरानी सपलेंडर मोटरसाईकल (बाईक) है जिसका नंबर-एचआर-51-एएम-2102 है। इस बाईक पर पुलिस विभाग के आदेशानुसार हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए उसने गांधी कालोनी, एनआईटी फरीदाबाद के सैंटर पर पूरे दिन लाईन में लगने के बाद अपना नंबर आने पर 135 रूपये वहां कम्प्युटर सीट पर बैठे कर्मचारी को करीब दो महीने पहले एक सितम्बर को दिए जिसके बदले में उसने उसे एक सादी पर्ची दे दी तथा नंबर प्लेट लगवाने के लिए सैक्टर-58 सैंटर जाने के लिए कह दिया। बकौल राजबीर जब से लेकर अब तक वह गांधी कालोनी तथा सैक्टर-58 वाले दोनों सैंटरों पर बहुत बार चक्कर काट-काट कर थक चुका है लेकिन उसकी नंबर प्लेट उसे अब तक नहीं मिली है। राजबीर का कहना है कि इन लोगों ने मुझे मेरी नंबर प्लेट देने के लिए मुझे आज तक भी कोई जवाब नहीं दिया तथा आनाकानी कर मुझे वहां से भगा देते थे। नंबर प्लेट ना लगने की वजह से मेरी बाईक का 12 अक्टूबर को 500 रूपये का चालान भी कट चुका है।
यहीं नहीं, राजबीर का कहना था कि आज जब उसने गांधी कालोनी वाले सैंटर पर बैठे सचिन व राकेश नामक कर्मचारी से कहा कि मेरी दुसरी पर्ची बना तो उन्होंने उससे 100 रूपये एफआईआर लिखवाने के पुलिस के नाम के तथा 250 रूपये दुसरी पर्ची के मांगे। इस पर जब मैने एतराज उठाया तो उन्होंने मुझसे गाली-गलौच की तथा मुझे मेरी नंबर प्लेट के एवज में जमा कराए पैसों की पर्ची मांगने पर जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से भगा दिया।
राजबीर ने पुलिस कमिश्रर से इस मामले में उचित कानूनी कार्यवाही करते हुए दोषियों को सजा देते हुए उन्हें उनकी नंबर प्लेट दिलवाने की मांग की है।