मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 27 जनवरी: मेरा भारत बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है। लोग शिक्षा में रुचि ले रहे हैं और अपने बच्चों के लिए अच्छी से अच्छी शिक्षा व्यवस्था को चुनना चाहते हैं। इसके लिए अभिभावकों की चिंताओं को आम देखा जा सकता है। लेकिन मैं एक शिक्षा संस्थान का निदेशक होने के नाते बच्चों के माता-पिता से आग्रह करना चाहता हूं कि एक स्कूल का चुनाव करते समय वहां की शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ सुरक्षा और मान्यता का भी ख्याल अवश्य रखें और उसकी जांच करने के बाद ही अपने बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलवाएं। यह विचार विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मैं सभी अभिभावकों को कुछ बातों को लेकर सजग करना चाहता हूं। जब आप लोग अपने बच्चे के लिए किसी स्कूल का चयन करते हैं तो सामान्य रूप से पहले वहां की फीस सिस्टम को देखते हैं। फीस के आधार पर स्कूल में एडमिशन कराने अथवा न कराने के बारे में निर्णय लेते हैं। फीस आपका प्रवेश का आर्थिक आधार हो सकता है। लेकिन मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि सबसे पहले उस स्कूल में सुरक्षा के मापदंडों को अच्छी तरह से जांच परख लें। क्या उस स्कूल में गेटेड सिक्योरिटी है और क्या वहां पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं? वह सुरक्षाकर्मी सुरक्षा के लिहाज से ठीक भी हैं या नहीं। उस संबंधित स्कूल में प्रबंधन द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं अथवा नहीं लगवाए गए हैं? यदि लगवाए भी गए हैं तो कहीं वह शो-पीस तो नहीं हैं और क्या वह सीसीटीवी कैमरे पूरे स्कूल की गतिविधियों को कवर करते भी हैं या नहीं करते हैं? क्या उन सीसीटीवी कैमरों के जरिए एक नियंत्रण कक्ष से निगाह रखी जा सकती है अथवा नहीं? यह बातें स्कूल परिसर के अंदर सुरक्षा से संबंधित हैं।
दीपक यादव ने कहा कि अब बच्चे के स्कूल से घर आने-जाने के लिए स्कूल ट्रांसपोर्ट की भी थोड़ी सी जांच अवश्य कर लें। स्कूल प्रबंधन से पूछें और खुद भी बसों की जांच करें कि क्या बच्चे के लिए लगवाई जाने वाली बस में सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं और कहीं वह शोपीस तो नहीं हैं। क्या स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर लगवाए गए हैं? संबंधित स्कूल की बसों में तैनात ड्राइवर, कंडक्टर पूरी तरह से ट्रैंड, मृदुभाषी और यूनिफार्म में होने चाहिए,जिससे कि उनकी दूर से ही पहचान संभव हो सके। स्कूल प्रबंधन से पूछें कि क्या उन्होंने ड्राइवर व कंडॅक्टर की पुलिस वैरिफिकेशन करवाई है। इससे असामाजिक तत्वों को आपके बच्चे से दूर रखने में आप खुद ही अपनी मदद कर सकेंगे। इसके साथ ही यह भी तय कर लें कि बस में ड्राइवर व कंडॅक्टर के अलावा स्कूल की ओर से एक शिक्षिका अथवा अन्य महिला सहयोगी को भी तैनात किया जाता हो। इससे आपके बच्चे की अतिरिक्त सुरक्षा तय हो सकेगी।
इसके अलावा बहुत महत्वपूर्ण संबंधित स्कूल की मान्यता का होना भी है। आजकल देखने में आ रहा है कि कुछ लोग सीबीएसई पैटर्न लिखकर अभिभावकों को भ्रम में डालने की कोशिश कर रहे हैं। आप लोग यह समझ लें कि सीबीएसई मान्यता प्राप्त होना और सीबीएसई पैटर्न होना, दोनों अलग बातें हैं। यदि स्कूल मान्यता प्राप्त नहीं है तो वह सीबीएसई बोर्ड पैटर्न से पढ़ाए अथवा न पढ़ाए,उन्होंने बताया कि आपके बच्चे का भविष्य अंधकार में ही होगा। इसमें बिल्कुल भी संदेह नहीं है। वहीं जो स्कूल सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त होगा, उसे बोर्ड के पैटर्न से पढ़ाना ही होगा, इससे प्रबंधन इनकार नहीं कर सकता और न ही उससे बच ही सकता है। इसलिए जो लोग सीबीएसई पैटर्न से पढ़ाई करने के दावे कर रहे हैं। उनके मान्यता के बारे में भी दावों की जांच अवश्य कर लें। और हां एक सही स्कूल का चुनाव करने और वहां प्रवेश कराने के बाद अपने बच्चे से स्कूल, शिक्षकों और वहां के वातावरण के बारे में निरंतर बात करना जारी रखें। वहीं स्कूल की पीटीएम (पैरेंट्स टीचर्स मीटिंग) में भागीदारी करें और बच्चे को निरंतर उत्साह भरे शब्द दें।
ध्यान रखें कि आपके लाड प्यार के साथ-साथ आपकी थोड़ी सी सावधानी आपके बच्चे केसाथ होने वाली किसी भी अनहोनी की आशंका को टाल सकती है।
-लेखक दीपक यादव विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल सैक्टर-2 एवं घरौडा ग्रेटर फरीदाबाद के निदेशक हैं।