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सर्वोदय हॉस्पिटल द्वारा जीवनदान देने का दावा झूठा निकला: मरीज की मौत हुई

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 4 अगस्त: सेक्टर-8 के सर्वोदय हॉस्पिटल का विवादों से गहरा रिश्ता है। चाहे वह ईएसआई से फ्रॉडबाजी करने में ब्लैकलिस्ट होने का हो या नोट कमाने के लिए मरीजों की जिंदगी से खेलने का, हॉस्पिटल मैनेजमेंट किसी भी मामले में पीछे नहीं है। विवाद है कि यहां थमने का नाम ही नही लेते हैं।
ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है जिसमें शहर के इस विवादास्पद सर्वोदय हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कुछ दिन पहले किडनी प्रत्यारोपण/ट्रांसप्लांट कर जिस मरीज सुरेंद्र यादव को जीवनदान देने की बात कहकर मीडिया के माध्यम से जमकर वाहवाही लूटी थी, वीरवार को उसकी मौत हो गई है। सुरेंद्र को उसकी पत्नी पूनम ने अपनी किडनी दी थी। मौत का कारण जो भी रहा हो लेकिन जिस तरह से पीडि़त पक्ष के मुताबिक मरीज को निमोनिया बताकर उसका डायलेसिस किया गया और बिना उनके कहे हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने मरीज से लिये जाने वाले करीब 2.50 लाख रुपये भी छोड़ दिये, उससे मामला कुछ संदिग्ध लगता है। कल शुक्रवार को हॉस्पिटल ने मृतक की बॉडी भी उनके परिजनों को सौंपकर मामले को वहीं खत्म कर दिया।
ध्यान रहे कि सर्वोदय हॉस्पिटल ने करीब ढाई महीने पहले 23 मई को हॉस्पिटल में बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह दावा किया था कि हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी के डॉक्टरों की टीम ने ब्लड ग्रुप का मिलान ना होने के बावजूद भी एक हाई टेक्नीक से 54 वर्षीय मरीज सुरेंद्र यादव की सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे जीवनदान दिया है जिसको कि उसकी पत्नी पूनम ने अपनी किडनी दी थी। यह दावा करते हुए हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी के सीनियर डॉ० बी. राम काबरा तथा यूरोलॉजी के डॉ० तनुज पाल भाटिया ने बताया था कि सुरेंद्र का उनके यहां पिछले डेढ़ साल से डायलेसिस चल रहा था। हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ० राकेश गुप्ता ने भी इस हाई टेक्निक के बारे में जानकारी देकर अपनी पीठ थपथपाई थी।
अब जब इस मरीज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है तो सर्वोदय हॉस्पिटल के उक्त दावे पर सवालिया निशान लग गया है। मृतक सुरेंद्र की पत्नी पूनम तथा पूनम के भतीजे मुकेश की माने तो उनका कहना है कि पिछले करीब तीन सालों से सर्वोदय हॉस्पिटल में सुरेंद्र का इलाज चल रहा था। पिछले दिनों डॉक्टरों ने बताया कि सुरेंद्र की किडनी ट्रांसप्लांट करनी पड़ेेगी। मुकेश के मुताबिक चूंकि पूनम और सुरेंद्र के ब्लड ग्रुप का मिलान नहीं हो रहा रहा था तो डॉक्टरों ने कहा कि एक लाख रुपये का एक छोटा सा इंजेक्शन आयेगा जिससे कि दोनों का ग्रुप मिल जाएगा और किडनी ट्रांसप्लांट हो सकती है। इस पर उन्होंने हॉस्पिटल को एक लाख रुपए अलग से दे दिए जबकि किडनी ट्रांसप्लांट का रेट छ: लाख रुपये अलग से था। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट कर दी गई। क्योंकि सर्वोदय हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट का यह पहला केस था तो हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने पत्रकारों को बुलाकर इसकी अखबारों में वाहवाही भी लूटी तथा किडनी ट्रांसप्लांट का रेट भी 6 लाख से बढ़ाकर 9 लाख रुपए कर दिया।
बकौल मुकेश एवं पूनम, जब कुछ दिन पहले सुरेंद्र की तबियत खराब होने लगी तो वे उसे सर्वोदय हॉस्पिटल ले आये जहां डॉक्टरों ने सुरेंद्र को निमोनिया बताया तथा उसकी जान बचाने की बात कहकर उसकी डायलेसिस की। उसके बाद सुरेंद्र को दो दिन वेंटिलेटर पर रखा था और तीसरे दिन यानी वीरवार को सुरेंद्र के परिवार वालों को बुलाकर सुरेंद्र को मृतक बता दिया। वहां उन्होंने पूनम को करीब 2.5 लाख का बिल भी थमा दिया। जब मृतक के परिजनों ने वहां सुरेन्द्र की मौत का कारण पूछा और सवाल जवाब किये तो मामले को बिगड़ता देख हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने सुरेंद्र की डेथ बॉडी उन्हें सौंप कर मामले को वही के वहीं दबा दिया।
जो भी हो, जिस तरह से मरीज सुरेंद्र को निमोनिया बताकर उसका डायलेसिस किया गया और बिना उनके कहे हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने सवाल जवाब करने पर ही मरीज से लिये जाने वाले करीब 2.50 लाख रुपये भी छोड़ दिये उससे मामला कुछ संदिग्ध लगता है।

अगले लेख में हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार नियमों को ताक पर रख कर सर्वोदय हॉस्पिटल सेक्टर-8 में कर रहा है अपनी बिल्डिंग का विस्तार।
                                                                                                                                                                              -क्रमश:


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