-मेयर के पद की निगम अधिकारियों द्वारा की जा रही बेकद्री?
-निगम अधिकारियों ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर तथा डिप्टी मेयर को किया हुआ है दरकिनार!
-निगम अधिकारियों ने जन-प्रतिनिधियों को बना रखा है कठपुतली!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 25 जनवरी: शहर का प्रथम नागरिक यानि मेयर। मेयर शब्द सुनते ही एक ऐसा चेहरा सामने उभरकर सामने आता है जोकि जन-प्रतिनिधि के तौर पर शहर के लाखों लोगों का शासन-प्रशासन में प्रतिनिधित्व करता है। वैसे तो मेयर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है और उसके पास नगर निगम की असीमित पॉवर होती है जोकि नगर निगम के संविधान में भी है। लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही है। शहर के प्रथम नागरिक यानि मेयर के पद की जितनी बेकद्री फरीदाबाद में हो रही है, वो शायद ही कहीं ओर नगर निगम में हो रही हो। निगम अधिकारियों द्वारा मेयर की सीट की गरिमा को लगातार बट्टा लगाया जा रहा है। मेयर का पद मानो निगम अधिकारियों के लिए उपहास का पात्र बन गया है। अधिकारी वर्ग जन-प्रतिनिधियों पर लगातार हावी है चाहे वह शहर की मेयर हो या फिर सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर। निगम पार्षदों की तो फिर औकात ही क्या है इन अधिकारियों के सामने।
जन-प्रतिनिधियों की बेइज्ज्ती का आलम यह है कि शहर के विकास के लिए नगर निगम की जो मीटिंगें मेयर की अध्यक्षता में होनी चाहिए वे निगमायुक्त की अध्यक्षता में हो रही है सिवाय सदन की बैठक के वो भी नाममात्र के लिए। ऐसा ही निगम मुख्यालय में कल वीरवार को भी देखने को मिला।
गौरतलब रहे कि निगमायुक्त अनिता यादव ने औद्योगिक नगरी फरीदाबाद को ओर सुंदर और आकर्षक बनाने हेतु यानि शहर के सौन्दर्यकरण को लेकर कल दोपहर को अपने अधीनस्थ निगम अधिकारियों मुख्य अभियंता डी.आर. भास्कर, कार्यकारी अभियंता, धर्मसिंह, वीरेन्द्र कर्दम, ओमवीर सिंह, नगर निगम के डीटीपी महिपाल आदि सहित राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण (एनएचएआई), देहली मैट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के अधिकारियों के अलावा पब्लिक पार्टीस्पिेशन के तौर पर मनसा ग्रुप (बिल्डर) के चेयरमैन बलजीत सिंह के साथ बैठक की। बैठक में शहर को किस प्रकार सुन्दर बनाया जाए, इस विषय पर चर्चा हुई।
मजेदार बात तो यह है कि इतनी महत्वपूर्ण मीटिंग में निगमायुक्त ने एक प्रोपर्टी डीलर जिसको कि बिल्डर कहा जा रहा है, को पब्लिक की तरफ से बुला लिया लेकिन नगर निगम की मेयर सुमनबाला सहित सीनियर डिप्टी मेयर देवेन्द्र चौधरी व डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग को बुलाना उचित नहीं समझा। यहां तक कि उनको इस मीटिंग की सूचना तक देना भी गंवारा नहीं समझा, बुलाना तो दूर की बात है। जबकि वास्तव में ऐसी मीटिंग तो कायदे से मेयर की अध्यक्षता में ही होनी चाहिए थी। यह बात निगम सहित शहरभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
यही नहीं, निगम मुख्यालय में हुई इस बैठक के बाद निगमायुक्त शहर के सौन्दर्यकरण करने की बात को लेकर अपने उक्त निगम अधिकारियों की टीम के साथ फरीदाबाद एस्कॉटर्स समूह के अध्यक्ष निखिल नन्दा के पास उनके कार्यालय में भी जाकर उनसे मिली, लेकिन निगमायुक्त ने वहां भी मेयर को ले जाना उचित नहीं समझा ना ही उनसे इस बारे में बातचीत की।
नगर निगम की मेयर सुमनबाला क्या कहती हैं:-
इस मामले को लेकर जब नगर निगम की मेयर सुमनबाला से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि वैसे तो वे कल वीरवार को जींद में थी लेकिन ना तो उन्हें उक्त मीटिंग की जानकारी है और ना ही मीटिंग में भाग लेने से संबंधित निगमायुक्त कार्यालय से किसी प्रकार की कोई लिखित या मौखिक सूचना उन्हें दी गई। अगर उनके पास सूचना होती तो वे जींद का कार्यक्रम रद्द कर शहर के विकास व सौंदर्यकरण के लिए जनहित में मीटिंग में जरूर हिस्सा लेती।
मेयर महोदया का यह भी कहना था कि जब शहर में स्वच्छता को लेकर नगर निगम द्वारा अभियान चलाया जा रहा है तो ऐसे में निगमायुक्त को चाहिए था कि वो मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर सहित निगम के सभी पार्षदों के साथ जोकि शहर की जनता का नगर निगम में प्रतिनिधित्व करते हैं, के साथ मिलकर मीटिंग करती तत्पश्चात शहर के सौंदर्यकरण को लेकर उनके साथ स्वच्छ फरीदाबाद अभियान चलाती। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नही किया जोकि जन-प्रतिनिधियों की सरासर अनदेखी है।
मीटिंग की सूचना ना देना न्यायसंगत नहीं: मनमोहन गर्ग
इस बारे में जब शहर के डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग से पूछा गया तो उनका कहना था कि कायदे से निगमायुक्त को उन्हें जन-प्रतिनिधि होने के साथ-साथ शहर का डिप्टी मेयर होने के नाते इस मीटिंग में बुलाना चाहिए था, लेकिन उन्हें इस मीटिंग की सूचना भी नहीं दी गई बुलाना तो दुर की बात है, जोकि जन-प्रतिनिधियों के लिए न्यायसंगत नहीं है। जबकि यह मीटिंग शहर के विकास व सौंदर्यकरण के लिए थी। इसलिए इस मीटिंग में जन-प्रतिनिधियों का बुलाया जाना आवश्यक था।
जो भी हो, जिस तरह से नगर निगम में मेयर के पद का निगम अधिकरियों द्वारा मखौल उड़ाया जा रहा है, वह सरकार की छवि को खराब करने का काम कर रहा है। उपरोक्त प्रकरण को देखते हुए लग रहा है कि कहीं ना कहीं निगमायुक्त और जन-प्रतिनिधियों के बीच 36 का आंकडा चल रहा है।
ध्यान रहे कि शहर के विकास कार्यों में तेजी लाने, अवैध कब्जों को रोकने, अतिक्रमण हटाने, राष्ट्रीय राजमार्ग का सौन्दर्यीकरण जैसे कार्यो को लेकर निगमायुक्त अनीता यादव ने वैसे तो तीखे तेवर अपना रखे हैं, लेकिन उनका फिलहाल कोई रिजल्ट निकल कर नहीं आ रहा है।
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