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…जब Highcourt ने गैर-मान्यता स्कूलों पर लगी सील हटवाने की याचिका को किया Dismiss

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
– गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रति हाईकोर्ट का सख्त रुख: याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में 175 पेज का शपथ पत्र देकर बताई हरियाणा में फर्जी स्कूलों की संख्या 4 हजार
– भिवानी के दो गैर-मान्यता स्कूलों पर लगी सील हटवाने की याचिका को भी न्यायालय ने ठुकराया
चंडीगढ़/फरीदाबाद/भिवानी, 23 मार्च: प्रदेश भर में चल रहे हजारों फर्जी स्कूलों के मामले में बुधवार, 18 मार्च को हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान इस मामले में जहां हरियाणा सरकार को भी करारा झटका लगा, वहीं न्यायालय ने कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रति अपने सख्त रुख को भी साफ कर दिया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की तरफ से भी माननीय हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय में 175 पेज का शपथ पत्र देकर कहा गया कि अगर निष्पक्ष जांच कराई जाए तो प्रदेशभर में गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की संख्या करीबन 4,000 पाई जाएगी। इससे पहले न्यायालय में 25 जुलाई, 2018 को हुई सुनवाई में हरियाणा सरकार की तरफ से एक शपथ पत्र देकर प्रदेशभर में गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की संख्या 1087 बताई थी। इस पर याचिकाकर्ता स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने आपत्ति जताते हुए न्यायालय में सरकार द्वारा पेश आंकड़ों को भ्रमित किए जाने वाला करार देते हुए कहा कि अगर जांच कराई जाए तो प्रदेशभर में गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या करीब 4 हजार पाई जाएगी। इसके लिए संगठन ने 12 सितम्बर को सुनवाई के दौरान शपथ पत्र देने की भी बात कही थी। बुधवार को हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अख्तियार करते हुए संगठन द्वारा अब तक इस मामले में सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर कार्रवाई किए जाने के नाम पर की गई लीपापोती के तथ्य सामने रखे। जिस पर न्यायालय ने हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए अब तक गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के खिलाफ की गई कार्रवाई के सम्बंध में स्टेटस रिपोर्ट 12 नवम्बर, 2018 तक न्यायालय के समक्ष पेश किए जाने के आदेश दिए।
हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय की शरण में गैर-मान्यता स्कूलों के मसले को लेकर पहुंचे स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि 9 सितम्बर, 2017 को उनके संगठन ने प्रदेशभर में चल रहे गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जनहित याचिका डाली थी। जिस पर न्यायालय ने लगातार सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए और उसे कड़ी फटकार भी लगाई। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के जो आंकड़े सरकार की तरफ से न्यायालय में पेश किए, वे झूठे एवं भ्रामक थे जिन्हें संगठन ने चुनौती दी थी। अब सुनवाई के दौरान संगठन की तरफ से न्यायालय में 175 पेज का शपथ पत्र देकर गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों से जुड़े समुचित आंकड़ों से न्यायालय को अवगत कराया है। जबकि यह भी कहा है कि अगर जांच कराई जाए तो पूरे प्रदेश में करीबन 4 हजार गैर-मान्यता स्कूल इस समय संचालित हो रहे हैं जो पूरी तरह से अवैध हैं।
बृजपाल ने यह भी स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार से मांगी गई एक आरटीआई में यह भी सूचना दी है कि उसके पास अब तक मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है तो फिर जब सरकार मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की संख्या के संबंध में ही पुख्ता नहीं है तो फिर गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की पैरवी कैसे कर सकती है।

भिवानी के दो निजी स्कूलों को भी लगा करारा झटका:-
गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को सील लगाए जाने के मामले में न्यायालय में चुनौती देने पहुंचे भिवानी जिले के दो निजी स्कूलों को भी न्यायालय ने करारा जवाब दिया। इन दोनों ही गैर-मान्यता निजी स्कूलों पर सील हटाए जाने की याचिका को न्यायालय ने एक सिरे से खारिज कर दिया और इसके साथ फटकार भी लगाई कि आपके पास स्कूल संचालन संबंधी जब कोई अनुमति या फिर मान्यता ही नहीं है तो न्यायालय में फिर क्या सोचकर पहुंचे। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील को भी बोलती बंद हो गई।

संगठन ने दिया न्यायालय में ये तर्क:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व महामंत्री भारत भूषण बंसल ने बताया कि हरियाणा सरकार की तरफ से जो शपथ पत्र देकर प्रदेश में गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या 1087 बताई गई है, उसमें पूरी तरह से कई सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने बताया कि हिसार में सरकार केवल 50 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल मान रही है जबकि संगठन के शपथ पत्र में 242 गैर-मान्यता स्कूल चल रहे हैं। इसी तरह भिवानी में सरकार 70 स्कूलों की संख्या दर्शा रही है जबकि भिवानी में 140 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल हैं। रेवाड़ी जिले में 40 स्कूल सरकार मान रही है, जबकि संगठन की ओर से 108 स्कूल बताए गए हैं। पंचकूला में सरकार कोई गैर-मान्यता स्कूल नहीं बता रही जबकि संगठन ने पांच स्कूल गिनवाए हैं। जींद में भी 10 स्कूल सरकार ने गैर-मान्यता वाले बताए हैं। इस पर भी संगठन ने जींद में 60 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की पहचान की है। जिनके संबंध में शपथ पत्र भी न्यायालय में दिया है।

गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कार्रवाई में कोताही बरतने वालों पर दर्ज कराएंगे अवमानना के केस
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व महामंत्री भारत भूषण बंसल ने बताया कि अब तक गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को बंद कराने में कोताही बरतने वाले शिक्षा एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ उन स्कूलों के प्रबंधकों के खिलाफ भी न्यायालय की अवमानना पर केस दर्ज कराए जांएगे। न्यायालय की ओर से सरकार को अगली सुनवाई तक इस सम्बंध में स्टेटस रिपोर्ट देने का समय दिया गया है, जबकि संगठन अब तक गैर-मान्यता संबंधी स्कूलों का समुचित आंकड़ा न्यायालय में उपलब्ध करा चुका है। उनकी स्पष्ट मांग है कि स्कूल चलाने वालों व इन पर कार्रवाई नहीं कर मिलीभगत करने वालों पर न्यायालय के आदेशों की अवमानना का केस दर्ज हो।

 


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