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ग्रीन बेल्ट से हटेंगे शराब के ठेके अवैध वाहन पार्किंग, जानिए कैसे?

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
– नगर-निगम और हुड्डा विभाग को दो हफ्ते में करनी होगी कार्रवाई
– फैक्ट्री संचालक ग्रीन बेल्ट को मेंटेन करके ना समझे अपने आपको उसका मालिक
– ग्रीन बेल्ट होगी दो-पहिया व चार पहिया वाहनों के स्टैंड से कब्जामुक्त
फरीदाबाद, 29 मार्च: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए नगर-निगम और हुडा विभाग को दो हफ्ते के अंदर-अंदर ग्रीन बेल्ट पर हुए अवैध कब्जों को खाली करवाने को कहा है।
एनजीटी कोर्ट ने फरीदाबाद में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए साफ-साफ निर्देश दिए हैं कि नगर-निगम फरीदाबाद और हुडा विभाग के अफसर दो हफ्ते के अंदर-अंदर नीलम-बाटा रोड़ पर स्थित सभी वाणिज्य स्थल, सैक्टर-22-24 डिवाइडिंग रोड़ स्थित सभी कंपनियां और सैक्टर-12-13 में एस्कॉर्ट द्वारा ग्रीन बेल्ट की दो एकड़ जमीन पर किए गए कब्जे सहित शहर में जितने भी हरित पट्टी पर कब्जे हैं, उन सबको हटा कर इन्हें कब्जामुक्त करे। साथ ही ग्रीन बेल्ट को दो-पहिया व चार पहिया वाहनों के स्टैंड से भी कब्जा मुक्त करे।
यहीं नहीं, एनजीटी ने अपने आदेशों में यह भी कहा है कि फरीदाबाद में किसी भी ग्रीन बेल्ट में यदि शराब का कोई ठेका है तो उसे भी हटाया जाए और वहां किसी को भी ठेके के लिए जगह आवंटित ना की जाए। ये आदेश गत 27 मार्च को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के जज रघुवेंद्र सिंह राठौर और सत्यवान सिंह ने वरूण श्योकंद व आकाश हंस द्वारा सन 2017 में डाली उस याचिका नं. 340/2017 पर सुनवाई करते हुए जारी किए हैं जोकि याचिकाकर्ता के वकीलों शरीक अब्बास जैदी व मानसी चहल ने डाली थी।
वरूण ने बताया कि माननीय जज साहब ने उस दिन खासतौर पर कहा था कि कोई भी कॉमर्शियल स्थल या फैक्ट्री संचालक ग्रीन बेल्ट को मेंटेन करके यह ना समझे कि वह उसका मालिक है। इसलिए हर ग्रीन बेल्ट में एक गेट छोड़ा जाए जो आम पब्लिक के लिए खुला रहे। साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता वरूण को स्वतंत्रता दी कि अगर 2 हफ्ते के अंदर नगर-निगम और हुडा कार्रवाई ना करें और कॉमर्शियल स्थल व फैक्ट्री मालिक अपने सामने बनी पार्किंग व कंक्रीट स्लैब तोड़कर वहां पेड़-पौधे ना लगाए तो उन्हें पूर्ण स्वतंत्रता है वो दोबारा कोर्ट में अवमानना दायर कर सकता है।
अब देखना यह है कि नगर-निगम और हुडा विभाग एनजीटी के इन आदेशों को कितनी गंभीरता से लेते हुए इन पर कार्यवाही करता है या फिर इन आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल देता है।


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