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मंत्री विपुल गोयल के खिलाफ वैश्य समाज ने बजाया बगावत का बिगुल !

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट

  • वैश्य राजनैतिक जागृति मंच की महापंचायत का वैश्य समाज ने किया बहिष्कार
  • जे.पी. गुप्ता वैश्य समाज के मठाधीश की तरह बैठे थे मंच पर
    फरीदाबाद, 7 मई:
    हरियाणा के उद्योगमंत्री एवं स्थानीय विधायक विपुल गोयल के खिलाफ वैश्य समाज में बगावत के सूर जोर-शोर से उठने लगे हैं। इसी क्रम में वैश्य समन्वय समिति (वीएसएस) के तत्वाधान में वैश्य राजनीतिक जागृति मंच के बैनर तले इसके कार्डिनेटर/संयोजक जे.पी.गुप्ता द्वारा रविवार को बुलाई गई महापंचायत के विरोध में आज वैश्य समाज के लोगों ने एक बैठक बुलाकर महापंचायत और उसमें सुनाए गए फरमान का बहिष्कार कर दिया है। खास बात यह रही कि आज की बैठक और रविवार को बुलाई गई महापंचायत, दोनों की ही अध्यक्षता मास्टर जगदीश चंद ने की। बैठक का आयोजन ओल्ड फरीदाबाद स्थित तेल मिल अग्रवाल धर्मशाला में किया गया था जिसमें ब्रह्मप्रकाश गोयल, युगल मित्तल, मुकेश बंसल, सतीश गुप्ता सीए तथा अनिल गुप्ता सहित वैश्य समाज की विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग भारी तादाद में मौजूद थे। इन सभी में महापंचायत और उसमें अधिकार को लेकर सुनाए गए फरमान को लेकर भारी आक्रोश था।
    काबिलेगौर रहे कि एक तरफ जहां रविवार की महापंचायत में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से यह कहा जा रहा था कि लोकसभा चुनावों में कथित तौर पर भाजपा उम्मीदवार द्वारा वैश्य समाज के प्रतिनिधि यानि विपुल गोयल को सम्मान नहीं दिया रहा जोकि वैश्य समाज की बेइज्जती हैं, वहीं आज की बैठक में यह कहा गया कि किसी एक व्यक्ति विशेष की अनदेखी/अपमान को समाज की अनदेखी कभी नहीं कहा जा सकता। कारण बताया गया कि समाज से व्यक्ति होता है व्यक्ति से समाज नहीं। इसलिए किसी एक व्यक्ति विशेष के स्वाभिमान के लिए पूरी वैश्य बिरादरी को गिरवी रखना बिल्कुल गलत है जिसको किसी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। इसलिए आज की बैठक में जे.पी. गुप्ता और उसके गुर्गो द्वारा बुलाई गई महापंचायत का बहिष्कार कर दिया गया। ध्यान रहे कि यह वहीं जे.पी.गुप्ता है जिसने शहर के वैश्य समाज के ना जाने कितने लोगों से करोड़ों रूपये लेकर उनको अपने घर के चक्कर कटवाने को मजबूर कर रखा है। (इसका खुलासा मैट्रो प्लस द्वारा जल्द किया जाएगा)
    आज की इस बैठक में खुलेआम इस बात पर चर्चा हुई और आरोप लगाए गए कि वैश्य समाज के नाम पर आज जिस विधायक/मंत्री के अपमान की बात की जा रही हैं उसने विधायक व मंत्री बनने के बाद पिछले साढ़े चार साल में वैश्य समाज के लिए क्या किया है जो आज उसके अपमान की बात कर रहे हैं। बैठक में यह भी आरोप लगाए गए कि मंत्री विपुल गोयल की कोठी पर हमेशा वैश्य समाज के लोगों को तिरस्कार हुआ है। इसका कारण यह बताया गया कि करोड़पति/अरबपति उद्योगपतियों के अलावा उनके ड्रांईंग रूम में किसी की एंट्री नहीं थी। निमंत्रण के कार्ड देने जाने वाले वैश्य समाज के लोगों को दरवाजे पर ही दो-दो घंटे इंतजार करवाने के बाद भी बिना मिले सिक्योरिटी गार्ड/बाऊंसरों द्वारा ही निमंत्रण कार्ड लेकर उनके व्यस्त होने के बात कहकर उन्हें बाहर से बाहर ही भेज दिया जाता था। जबकि नरेन्द्र गुप्ता और जे.पी. गुप्ता उनके ड्राइंग रूम में शोभायमान हुए ज्यादातर समय बैठे रहते थे। ऐसे में अब वैश्य समाज से वो अपने लिए किस सम्मान को दिलाने की भीख/मांग अपने गुर्गो के माध्यम से कर रहे हैं।
    बैठक में कहा गया कि यदि महापंचायत करनी ही थी तो लोकसभा की टिकट बंटने से पहले करते ताकि वैश्य समाज के लिए भी टिकट मांगी जाती। और अब चुनाव से एक सप्ताह पहले इस महापंचायत को करने का क्या औचित्य बनता था जबकि उनके समाज से यहां से लोकसभा चुनावों में कोई उम्मीदवार खड़ा ही नहीं हैं। ध्यान रहे कि विपुल गोयल के गुर्गो द्वारा जिस महापंचायत का आयोजन किया गया था उसमें मात्र 200-300 लोग ही फरीदाबाद व पलवल जिले से मौजूद थे और जो लोग विपुल गोयल की नकारात्मक कार्यशैली को लेकर बोल रहे थे उनसे माईक वापिस ले लिया जा रहा था। इस तथाकथित महापंचायत में जे.पी. गुप्ता मास्टर जगदीश चंद के साथ किसी राजा-महाराजा की तरह अकेले ऐसे बैठे थे जैसे वो वैश्य समाज के कोई मठाधीश हों।
    वहीं बैठक में यह भी आरोप लगाया गया कि आज इन नेताओं को समाज याद आ रहा है जब उनकी खुद की बेकद्री हो रही है। ये समाज इनके लिए तब कहां गया था जब बदरपुर बार्डर से लेकर फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, होडल आदि को वैश्य समाज फाईनेंसरों/बिल्डरों के हाथों लूट गया था। उस समय तो इन राजनेताओं ने इन फ्रॉडी/धोखेबाज फाईनेंसरों/बिल्डरों को अपने ड्राईंग रूम में बैठाकर उन्हें तवज्जों दी जा रही थी। और आज वहीं राजनेता उनसे सम्मान दिलवाने की बात कर रहे हैं और मुसलमानों की तरह फतवा जारी कर लोकसभा चुनावों में उनसे उनके कहे अनुसार वोट देने की बात कह रहे हैं, इसका वैश्य समाज विरोध करता है।
    वैश्य समाज के वक्ताओं ने कहा कि आज के चुनावी माहौल में समाज को किसी खास व्यक्ति या राजनैतिक दल के हाथों बेचे जाने के हर प्रयास का विरोध किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार अचानक चुनाव में एक संगठन बनाया गया है उससे हमें इसमें किसी षडयंत्र की बू आती है। उन्होंने कहा कि चुनावों में समाज को बेचने का प्रयास किया गया है उसकी हम निंदा करते हैं और इस पूरी कोशिश का बहिष्कार करते हैं।
    वहीं सभा में अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के जिला मंत्री सतीश मित्तल ने कहा कि यह वैश्य राजनीतिक जागृति मंच स्थानीय विधायक एवं राज्य सरकार के मंत्री विपुल गोयल के इशारे पर बनाया गया है और उनके ही पक्ष में महापंचायत को किया गया जिसमें कि करीब 200-300 लोग ही मुश्किल से मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आज चुनाव में यह लोग वैश्य समाज का सौदा करना चाहते हैं जिसका विरोध किया जाएगा।
    इस बैठक में सेक्टर-28, 29, 30, 31 वैश्य समाज के अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा कि जिस वैश्य राजनैतिक जागृति मंच द्वारा दो दिन पहले बैठक का आयोजन किया गया, उस मंच को समाज जानता ही नहीं है। हमारा वैश्य समाज बुद्धिजीवी समाज है और उसे पता है कि वो किसे अपना वोट देगा।
    वहीं महाराजा अग्रसेन विवाह समिति के अध्यक्ष ब्रह्मप्रकाश गोयल ने कहा कि चुनावों में पूरे वैश्य समाज की ठेकेदारी भरने का जो प्रयास किया जा रहा है हम उसकी भत्र्सना करते हैं और ऐसे मंच का बहिष्कार करते हैं।
    इसी प्रकार ऑल इंडिया वैश्य महासम्मेलन के जिलाध्यक्ष युगल मित्तल ने कहा कि इस बैठक में समाज में विमर्श करने के लिए बुलाया था, लेकिन वहां एक नेता के पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास किया गया, जिसका हम पूरी तरह से बहिष्कार करते हैं।
    बैठक की अध्यक्ष्ज्ञता करते हुए मास्टर जगदीश अग्रवाल ने कहा कि वैश्य समाज पढ़ा-लिखा और बुद्धिजीवी समाज है। वह किसी भी संगठन और नेताओं के बहकावे में न आकर अपना मत अपने पसंद के उम्मीदवार को दे। लेकिन मतदान जरूर करे।
  • जो भी हो जिस तरह से वैश्य समाज में राजनीति को लेकर यह खींचतान चल रही है और कुछ डिफाल्टर किस्म के लोग मठाधीश बनकर समाज पर राज करना चाह रहे हैं वो तर्कसंगत नहीं हैं। इस सारे एपिसोड में कुल मिलाकर कहीं ना कहीं मंत्री महोदय की रही-सही पोजिशन खराब हो रही है। इसलिए उन्हें भी चाहिए कि वो समाज के सभी लोगों को लेकर साथ चलें और अपने चापलूस किस्म के दरबारियों से बचकर रहें, अन्यथा इसका नुकसान उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में किसी ना किसी रूप में उठाना पड़ सकता है।

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