मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 8 मई: हमारी धरती के ऊपर मानव जीवन पर प्रदूषण का गंभीरतम संकट बढ़ता जा रहा है। सन् 2030 तक धरती पर जीवन अत्यंत कष्टकारी हो चुका होगा और इसका प्रमुख कारण मनुष्यों द्वारा विकास के नाम जो क्रंकीट के जंगल खड़े हो रहे हैं, पेड़ काटे जा रहे हैं इससे धरती का जैविक संतुलन और पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है। यह कहना था स्वामी प्रेम परिवर्तन उर्फ पीपल बाबा को जोकि आज हॉमर्टन ग्रामर स्कूल सैक्टर-21ए के ट्रिनटी हॉल में छात्र-छात्राओं को बदलते जीवन परिवेश के खतरों के प्रति आगाह कर रहे थे।
पीपल बाबा ने कहा कि भारत की धरती आज आवश्यकता से अधिक जनरहित हो चुकी है और लोग नए पेड़ों को लगाने को लेकर जागरूक नही हैं। इसलिए अब यह कार्य तो बच्चों को ही करना होगा। ऐसा मानते हुए लगभग दो करोड़ पेड़ लगाने वाले गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में अपना नाम पेड़ों की वजह से दर्ज करवाने वाले पीपल बाबा ने बच्चों को अनेक उदाहरणों से प्रेरित किया। अपने रचनात्मक कार्यो से परिचित कराते हुए उन्होंने बच्चों को फरीदाबाद के सुन्दर पर्यावरण से भी परिचित कराया। उन्होंने सन् 2030 तक मानव जीवन पर हवा और पानी की कमी के आने वाले खतरों से निपटने के लिए ही पीपल, बरगद और नीम जैसे पेड़ों को लगाने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर बच्चों में भी ‘पीपल बाबाÓ से अशोक, अर्जुन जैसे पेड़ों का महत्व पूछा और किस तरह कार्य करना है, यह भी जानने की कोशिश की। पीपल बाबा ने हॉमर्टन स्कूल की हरी-भरी धरती पर पीपल का एक सुन्दर पौधा अपने हाथों से बच्चों के साथ मिलकर लगाया।
बच्चों को भारतीय पीपल, बरगद और नीम का महत्व समझाते हुए पीपल बाबा ने कहा कि हरियाणा जो कि अपने जामुन, पीपल के पेड़ों के लिए विख्यात था और पीपल तो हरियाणा का घोषित राजकीय वृक्ष है। आज हरित संपदाविहीन होता जा रहा है। नदियां सूख रही हैं इसलिए अब तो पेड़ों को लगाने का काम युद्वस्तर पर करना होगा।
बच्चों के प्रश्नोत्तर के बाद हॉमर्टन ग्रामर स्कूल के प्रबंध निदेशक राजदीप सिंह ने गिव मी ट्रीज ट्रस्ट के निदेशक विनीत वोहरा तथा स्वामीजी को हार्दिक धन्यवाद दिया और स्मृति चिह्न स्वरूप दोनों को पौधों के सुन्दर गमले प्रदान किए। सभी अतिथियों का स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती अर्चना डोगरा ने भावपूर्ण स्वागत किया। इस सेमिनार के माध्यम से सभी छात्रों को पर्यावरण को सुरक्षित रहने के लिए निरंतर पेड़ लगाने की प्रेरणा मिली।