MCF के एक विभीषण SDO के बलबुते देखते-देखते खड़ी हो गई अवैध बहुमंजिला Commercial Building
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 24 अगस्त: जैसे कि रामानंद सागर द्वारा रचित रामायण में बताया गया है सतयुग में जैसे वानरराज महाराज सुग्रीव के बड़े भाई बाली को वरदान था कि युद्व के समय शत्रु के सामने आते ही उसकी आधी शक्ति/बल तुरंत उसमें (बाली) आ जाएगी जिसके चलते दुश्मन उसे परास्त नहीं कर पाएगा। इसी कारण सुग्रीव बाली को परास्त नहीं कर पा रहा था। जिसके चलते बाली को मारने के लिए एक चाल चली गई और सुग्रीव-बाली के युद्व में सुग्रीव से अपनी दोस्ती निभाते हुए भगवान राम ने बाली पर छिपकर प्रहार करते हुए उसे मौत के घाट उतार दिया। लेकिन यहां कलयुग में बिल्कुल इसके उल्ट है। यहां खास बात यह है कि सतयुग में बाली को कोई दोस्त/हमदर्द नहीं था जोकि उसे बचा पाता लेकिन हम बात कर रहे हैं कलियुग के बाली की जोकि ढींगरा भी है। कलयुग के इस बाली के ऐसे कई हमदर्द/दोस्त हैं जोकि अपने विभाग के विभीषण बनकर बाली को बचाने में लगे हुए हैं।
संतों के गुरूद्वारे के सामने एनएच-1के/ प्लॉट नं.एसएसआई-9ए:-
अब हम आते हैं असली मुद्दे पर। मैट्रो प्लस में अवैध निर्माण की खबर छपने पर नगर निगम फरीदाबाद की कमिश्रर अनीता यादव ने अवैध निर्माण की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए एनआईटी फरीदाबाद में संतों के गुरूद्वारे के सामने एनएच-1के/ प्लॉट नं.एसएसआई-9ए में बन रही निर्माणाधीन ईमारत को गत् एक मार्च, 2019 को जेसीबी की सहायता से मटियामेट करवा दिया था। उस समय तोडफ़ोड़ की इस कार्यवाही को अंजाम दिया था नगर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते के एक्सईएन ओमवीर सिंह, एसडीओ विनोद मलिक और जेई सुमेर सिंह टीम ने।
इस तोडफ़ोड़ के कार्यवाही के बाद कुछ दिन तो अवैध निर्माणकर्ता चुपचाप बैठ गए और इसे चुपचाप इसे दोबारा बनाने की योजना बनाने लगे। सुत्रों के मुताबिक इन अवैध निर्माणकर्ताओं ने इस बहुमंजिला ईमारत को बनाने में सहयोग करने के लिए नगर निगम के एक एसडीओ का सहयोग लिया जिसने कि नगर निगम में विभीषण की भूमिका निभाते हुए इस अवैध निर्माण को करवाने के लिए पूरा ताना-बाना बुना। करीब दो-ढाई महीने बाद जून महीने में यहां दोबारा से कॉमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण कार्य शहर में यह कहते हुए बहुत तेजी से शुरू करवा दिया कि उन्होंने नगर निगम से इसका नक्शा पास करवा लिया है, जबकि वास्तव में अब तक भी इसका कोई नक्शा पास नहीं हैं। पुन: शुरू हुए इस अवैध निर्माण की शिकायत संतों के गुरूद्वारे की संस्था डेरा संत भगत सिंह जी महाराज के प्रधान मनोहरलाल अरोड़ा और ट्रस्टी मेंबर आई.डी.अरोड़ा ने वीरवार, 11 जुलाई को सैक्टर-12 में हुई जिला कष्ट एवं शिकायत निवारण कमेटी (ग्रीवेंस कमेटी) की बैठक में कमेटी के चेयरमैन मनीष ग्रोवर को लिखित तौर पर कर दी। बकौल ट्रस्टी मेंबर आईडी अरोड़ा ग्रीवेंस कमेटी के चेयरमैन ने उसी समय बैठक में मौजूद निगमायुक्त अनीता यादव को अवैध रूप से बन रहे उक्त शॉपिंग कॉम्पलेक्स को तोडऩे के आदेश दे दिए जिस पर निगमायुक्त ने दो दिन के अंदर उक्त अवैध निर्माण को तोडऩे का आश्वासन कमेटी चेयरमैन को दे दिया। मैट्रो प्लस ने भी इस खबर को फिर से प्रमुखता से छापा था। उसके बाद नगर निगम का तोडफ़ोड़ दस्ता मौके पर पहुंचा तो सही लेकिन नगर निगम के उक्त विभीषण बताए जाने वाले एसडीओ के कहने पर और बाली की ढींगडाई के बाद तोडफ़ोड़ की बजाए उस समय काम रूकवा कर वापिस आ गया दिखावे के लिए उस समय वहां एक दीवार की पांच-सात ईंटे गिरा दी गई ताकि निगमायुक्त को संतुष्ट किया जा सके और ऐसा हुआ भी।
इसके बाद विभीषण एसडीओ के निर्देशानुसार उक्त निर्माणाधीन अवैध ईमारत को टूटने से बचाने के लिए अवैध निर्माणकर्ता को अदालत में भिजवा दिया गया ताकि तोडफ़ोड़ से बचने के लिए कोर्ट से स्टे मिल सके। कोर्ट में हुई दोनों पक्षों की बहस के बाद अदालत ने अवैध निर्माणकर्ता को स्टे ना देते हुए इस मामले में बताते हैं कि एक स्पीकिंग आर्डर जारी कर दिया। इसके तहत नगर निगम को कानून के अनुसार कार्यवाही करनी होती है जोकि शायद आज तक भी नही की गई है।
क्या कहते है नगर निगम अधिकारी:-
संतों के गुरूद्वारे के सामने एनएच-1के/ प्लॉट नं.एसएसआई-9ए में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर जब तोडफ़ोड़ विभाग के एक्सईएन ओमबीर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उक्त बिल्डिंग का नक्शा पास है। लेकिन जब उनसे ये पूछा गया कि नक्शा कॉमर्शियल पास है या रिहायशी/रेजिडेंशल और क्या नक्शे की कॉपी आपके पास है तो फिर उनका जवाब था कि उन्होंने सुना है कि नक्शा पास है, कॉपी उनके पास नहीं हैं और ना ही ये जानकारी है कि नक्शा कॉमर्शियल पास है या रिहायशी/रेजिडेंशल। उनकी बातों से लग रहा था कि उन्हें भी अवैध निर्माणकर्ताओं ने इसी भ्रमजाल में डाल रखा है कि उक्त कॉमर्शियल बिल्डिंग का नक्शा पास है। इस बारे में जब निगमायुक्त से जानकारी लेनी चाही तो उनसे बात नहीं हो सकी।
कुल मिलाकर निगमायुक्त ने एक बार तो इस अवैध निर्माण को मटियामेट कर जमकर वाह-वाही लूटी, लेकिन उसके बाद जिस तरीके से नगर निगम के ही एक विभीषण एसडीओ ने इस मामले में निगमायुक्त के खिलाफ जाते हुए इस अवैध निर्माण को एक बहुमंजिला ईमारत में तब्दील करवा दिया उससे कहीं ना हीं निगमायुक्त का साख खराब हुई है। मार्किट में सवाल उठ रहे हैं कि एक तरफ तो निगम प्रशासन अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करने में लगा हुआ है लेकिन दोबारा से हो रहे इस अवैध निर्माण की तरफ उनका ध्यान ही नहीं हैं।