Metro Plus से Jaspreet Kaur की रिपोर्ट
Faridabad News, 2 अक्टूबर: महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में मां कूष्मांडा की भव्य पूजा अर्चना की गई। चौथे नवरात्रे पर मंदिर में सुबह से ही भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई। भक्तगण अपनी मुराद लेकर मां के दरबार में पहुंचे। इस मौके पर मंदिर की ओर से श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया गया। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि नवरात्रों के शुभ अवसर पर माता रानी के दर्शनार्थ मंदिर के कपाट चौबीस घंटे खुले रहते हैं। रात को भी श्रद्धालु माता रानी के मंदिर में अपनी हाजिरी लगा सकते हैं।
इस मौके पर माता रानी के दरबार में पहुंचे शहर के प्रमुख उद्यमी एवं लखानी अरमान गु्रप के चेयरमैन केसी लखानी को मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर श्री लखानी ने मां के दरबार में शहर की सुख समुद्धि के लिए अरदास भी की। इस अवसर पर प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि मां कूष्मांडा की अपने भक्तों पर विशेष कृपा रहती है, जो भी भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करते हैं, उनकी अरदास अवश्य पूरी होती है।
इस अवसर पर श्री भाटिया ने कहा कि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। यही वजह है कि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। इसी के चलते इन्हें आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा जाता है। नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा के पूजन का विशेष महत्व है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त सच्चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्ति होती है।
कौन हैं मां कूष्मांडा
कु का अर्थ है कुछ ऊष्मा का अर्थ है ताप और अंडा का अर्थ है ब्रह्मांड शास्त्रों के अनुसार मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्मांडा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है। इनका निवास स्थान सूर्य है। यही वजह है माता कूष्मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है। मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्य लोक में रहने की शक्ति प्राप्त है।