Metro Plus News
एजुकेशनफरीदाबादहरियाणा

फीस व अन्य फंड वसूली: निजी स्कूलों को नहीं मिली कोर्ट से कोई राहत, अब 7 सितंबर को होगी सुनवाई

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
चंडीगढ़, 22 जून:
प्रदेशभर के निजी स्कूलों में कोविड-19 वैश्विक महामारी संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के दौरान स्कूली बच्चों से फीस व अन्य फंड वसूली की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में गए सर्व विद्यालय एवं निजी स्कूलों को कोई राहत नहीं मिली। दरअसल सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बंद पड़े निजी स्कूल पंजाब की तर्ज पर स्कूली बच्चों से 70 फीसदी फीस व फंड जमा कराने की मांग करते हुए सरकार के ट्यूशन फीस के आदेश पर स्टे चाहते थे। मगर कोर्ट ने कोई राहत नहीं देते हुए इस मामले की सुनवाई सात सितंबर तक टाल दी।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह व अन्य अभिभावक संगठनों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में भी अभिभावकों का पक्ष रखा। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल ने बताया कि न्यायालय में निजी स्कूल हरियाणा सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने पर भी फीस और अन्य फंड लेने की अनुमति के लिए पहुंचे थे। निजी स्कूलों का तर्क था कि उनके पास स्टॉफ की सैलरी और संचालन के लिए कोई फंड नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा इस अवधि के दौरान केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेश पर स्टे दिया जाए। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि निजी स्कूलों के पास रिजर्व फंड और छह माह की प्लेज मनी है और फिलहाल अधिकांश निजी स्कूल करोड़ों रूपयों का सालाना लाभ भी अर्जित कर रहे हैं। इस अवधि के दौरान बच्चों पर फीस व अन्य फंडों का बोझ नहीं लादा जा सकता। जबकि स्कूलों का संचालन इन मद्दों में रिर्जव राशि से किया जा सकता है।
इस मौके पर बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि निजी स्कूल पंजाब में फीस पर हुए स्टे का हवाला दे रहे हैं, जबकि हरियाणा में एजुकेशन एक्ट और नोटिफिकेशन भी अलग है। इसी लिहाज से निजी स्कूलों को हरियाणा शिक्षा नियमावली की अनुपालना भी जरूरी है। मगर सभी निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय में एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 17(5) के तहत ऑडिट बैलेंस सीट तक जमा नहीं करा रहे हैं। निजी स्कूलों ने अभिभावक व संगठनों के इस मामले में सुनवाई की औपचारिकता पर ही सवाल उठाए थे। जिस पर कोर्ट ने यह भी माना है कि इस मामले में सुनवाई की जल्दी नहीं है, इसमें अभिभावकों का पक्ष जानना भी आवश्यक है।



Related posts

बाल विवाह करना या करवाना दंडनीय अपराध: विक्रम सिंह

Metro Plus

RTI में हुआ खुलासा: शिक्षा निदेशालय से नहीं दी निजी स्कूलों में बच्चों की ऑनलाइन कक्षा संचालन के कोई आदेश

Metro Plus

18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को दोनों वैक्सीन डोज लगना हो सुनिश्चित: जितेन्द्र यादव

Metro Plus