मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 30 जुलाई: ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (आईपा) ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाई जा रही नई शिक्षा नीति में शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है, उल्टा आगे पीपीपी मोड़ पर कॉलेज व स्कूल खोलने के लिए पूंजीपतियों को निवेश करने की छूट दी जा रही है, इससे लूट और मनमानी और बढ़ जाएगी। अभी तक जिन कॉलेज व स्कूलों को मान्यता के साथ-साथ सरकारी अनुदान दिया जा रहा था उसे बंद करके ऐसे स्कूलों के प्रबंधकों से अपने संसाधनों से स्कूल की आमदनी जुटाने की व्यवस्था करने के लिए कहा जा रहा है। कुल मिलाकर के शिक्षा को पूरी तरह से बाजार के हवाले किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में सरकारी शिक्षा का स्तर सुधारने, सरकारी कालेज व स्कूलों में गुणात्मक और व्यापक सुधार करने, सरकारी शिक्षकों को निर्धारित वेतनमान देने,, उनकी सर्विस की सुरक्षा की गारंटी देने आदि की कोई बात नहीं की गई है।
आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल एडवोकेट व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में कई खामियां हैं जिनका अध्ययन किया जा रहा है और इस बारे में प्रधानमंत्री व केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा जाएगा। कैलाश शर्मा ने कहा है कि आइपा की ओर से सरकारी व प्राइवेट शिक्षा में सुधार के बारे में जो एक 11 सूत्री मांगपत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया है, उसमें से एक भी मांग व बात को शिक्षा नीति में शामिल नहीं किया गया है। नई शिक्षा नीति में सभी वर्गों और उनकी जरूरतों का ध्यान में नहीं रखा गया है। देश की बड़ी आबादी अब भी शिक्षा के लिए सरकारी कॉलेज व स्कूलों पर निर्भर है। लेकिन इनमें सुधार की कोई भी बात नहीं की गई है। अब बात चल रही है कि शिक्षा में गैर-सरकारी संस्थानों, एनजीओ, औद्योगिक घरानों की भागीदारी बढ़ाई जाए जो सबसे बड़ी चिंता की बात है।
शिक्षा नीति में यह तो कहा गया है कि प्राइवेट शिक्षण संस्थान अपने आय व्यय को पब्लिक डॉमिनी में डालेंगे लेकिन उनके खातों की सीएजी या अन्य सरकारी ऑडिट कंपनी से जांच व ऑडिट कराने की कोई बात नहीं की गई है। प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट को कितनी वैधानिक फीस किन-किन फंडों में लेनी है और आमदनी को किन-किन मदों में खर्च करना है इसका भी कोई जिक्र नहीं है। शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों का शोषण रोकने व समान काम के लिए समान वेतन के बारे में कुछ भी नहीं है।
निजी कालेज व स्कूलों की फीस पर प्रभारी अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। शिक्षा का अधिकार आरटीआई कानून का दायरा 12वीं तक करने और इसमें अल्पसंख्यक स्कूलों को भी शामिल करने का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है। शिक्षा नीति में स्कूल बैग का वजन कम करना एक अच्छी बात है लेकिन 2019 में भी केंद्र सरकार ने सभी कक्षाओं के बच्चों के बस्ते का वजन निर्धारित किया था उसका पालन स्कूल प्रबंधकों ने नहीं किया। इस शिक्षा नीति में इसका पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? इसका कोई जिक्र नहीं है।
कैलाश शर्मा का कहना है कि नई शिक्षा नीति को देशभर में इसी स्वरूप के साथ लागू किया गया तो बच्चों की शिक्षा खराब से बुरी स्थिति में चली जाएगी और बच्चों को सरकारी शिक्षा नीति से कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। शिक्षा नीति का अध्ययन करने के बाद आइपा की ओर से शिक्षा नीति में दिखाई दे रही कमियों के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराने और उनको दूर करने के लिए पत्र लिखा जाएगा।