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सरकार के नियम134ए के खिलाफ निजी स्कूल संचालकों ने निकाला पैदल मार्च

जिला उपायुक्त सहित मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा तथा विधायक मूलचंद शर्मा को भी सौंपा ज्ञापन
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 18 सितंबर:
हरियाणा सरकार द्वारा निजी स्कूलों में नि:शुल्क एडमिशन को लेकर लागू किए गए नियम134ए को काला कानून बताते हुए आज जिलेभर के प्राईवेट स्कूलों की सभी एसोसिएशनों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ खुली जंग छेड़ दी है। इस जंग की शुरूआत करते हुए निजी स्कूल संचालकों ने आज सांकेतिक हड़ताल के तौर पर अपने-अपने स्कूल बंद रखे तथा सैक्टर-12 में पैदल मार्च करते हुए मिनी सचिवालय में जाकर इस संबंध में जिला उपायुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा। इस पैदल मार्च का नेतृत्व हरियाणा प्रोग्रेस्सिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी) के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई, जिला अध्यक्ष सुरेश चंद्र, सचिव डा० सुमित वर्मा, कोषाध्यक्ष नीलम गांधी, प्राईवेट स्कूल्ज एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश डागर, यूनाईटेड प्राईवेट स्कूल्ज के प्रधान नन्दराम पाहिल, आईडियल प्राईवेट स्कूल्ज एसोसिएशन के प्रधान गजराज नागर, डा० सुभाष श्योराण, एचएस मलिक, उमंग मलिक, डॉ० बिमला वर्मा, नरेन्द्र परमार, ऋषिपाल चौहान आदि कर रहे थे। इस पैदल मार्च में सैकड़ों की तादाद में निजी स्कूल संचालकों और उनके अध्यापकों सहित अम्बाला से विशेष तौर पर आए फैडरेशन ऑफ प्राईवेट स्कूल्ज के प्रधान कुलभूषण शर्मा ने भी हिस्सा लिया। जिला उपायुक्त के अलावा प्रदेश की मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा तथा विधायक मूलचंद शर्मा को भी यह ज्ञापन सौंपा गया है। जल्द ही केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री एवं स्थानीय सांसद कृष्णपाल गूर्जर को भी यह ज्ञापन सौंपा जाएगा जोकि आज किसी कारणवश शहर में नहीं थे।
विभिन्न एसोसिएशनों के इन प्रदर्शनकारी पदाधिकारियों का कहना था कि सरकार ने प्राईवेट स्कूलों में नि:शुल्क एडमिशन के लिए जो नियम134ए लागू किया है, वह तर्कसंगत नहीं है। यह कानून हरियाणा को छोड़कर दूसरे किसी प्रदेश में कहीं भी नहीं है। इसलिए रिले क्लोजर के तहत इस तरह से जिलेवार सांकेतिक हड़ताल शुरू की गई है, जिसकी शुरूआत मंगलवार 15 सितम्बर को अम्बाला जिले में प्राईवेट स्कूलों को बंद करके कर दी गई हैं। और इसी क्रम में आज फरीदाबाद जिले के सभी स्कूलों को बंद रखा गया है।
विभिन्न एसोसिएशनों के इन पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अपने सरकारी स्कूलों की दशा और गुणवत्ता तो सुधार नहीं पा रही बल्कि की उनके प्राईवेट स्कूलों में 134ए तथा आरटीई जैसे गैर-कानूनी फैसलों की आड़ में अपना हस्तक्षेप कर उनके यहां का माहौल बिगाडऩे का काम कर रही है। इनका कहा है कि सरकार धारा 134 को 134ए में बदलकर स्वयं ही इसमें धारा में पांच बार बदलाव कर चुकी हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके स्कूलों में 134ए के मेधावी व गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए प्रशासन द्वारा मिड सैसन में भेड़-बकरियों की तरह जो बच्चे भेजे जा रहे हैं उनके लिए भी प्रशासन पर कोई मापदंड नहीं है। यहां तक की कई बच्चों पर तो फर्जी दस्तावेज पाए गए है जिससे कि प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही व तानाशाही उजागर होती है। सरकार ने अदालत के आदेशों को भी अपनी सुविधा के हिसाब से ही परिभाषित किया हैं जोकि तर्कसंगत नहीं है।
इन पदाधिकारियों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि गरीब बच्चों को साक्षर करने के लिए केंद्र सरकार से सर्व शिक्षा अभियान के तहत आया करोड़ों रूपये तो सरकार खुद डकार रही है और ईडब्ल्यू एस के तहत गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने का बोझ गैर-कानूनी रूप से हमारे प्राईवेट स्कूलों पर डाल रही हैं।
यहीं नहीं स्कूली बसों में एक विशेष कंपनी के ही जीपीएस/सीसीटीवी कैमरे लगाने के परिवहन विभाग के आदेशों को इन्होंने सरकारी अधिकारियों की दलाली बताया। जिसके तहत परिवहन विभाग स्कूली बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने में भी तरह-तरह की अड़चनें लगा रहा है। इनका कहना है कि परिवहन विभाग को इन आदेशों को उन पर लागू करने से पहले अपनी रोड़वेज बसों में यह सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए जिनमें कि रोजाना लाखों महिला, पुरूष व बच्चे आदि यात्रा करते हैं।
इसके अलावा हुडा प्रशासन पर भी इन पदाधिकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि झुठी-सच्ची शिकायतों के नाम पर ये हुडा अधिकारी हर साल प्राईवेट स्कूलों को नोटिस भेजते और फिर स्कूल संचालकों को अपने कार्यालय के बाहर खड़ा करके उन्हें घंटों तक इंतजार करवा कर उनसे एक अपराधी की तरह व्यवहार किया जाता है जोकि ठीक नहीं हैं।
इन पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अपनी पारदर्शी नीति बनाए जिसमें कोई कंफ्यूजन न हो उसकी पालना करने में प्राईवेट स्कूलों को भी कोई समस्या न हो। और यदि ऐसा नहीं होता है तो अब एचपीएससी अपने साथ होने वाले अन्याय को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगी चाहे इसके लिए उन्हें सरकार से कोई भी लड़ाई क्यों न लडऩी पड़े। 5

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