महेश गुप्ता
फरीदाबाद, 25 सितम्बर: विकलांग व्यक्तियों तक आवश्यक सुविधाएं व सामान अवसर पहुंचाने और उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक रहने हेतु समावेशी ढंग से जीवन के सभी क्षेत्रों में भाग लेने व सक्षम बनाने के लिए सुगम्यता आवश्यक है। इसे वास्तविक रूप देने के लिए सरकार, सिविल समाज और स्टेकहोल्डरों की ओर से ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। यह विचार केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने आज महाराष्ट्र में इस सम्बन्ध में आयोजित कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए प्रकट किए।
श्री गुर्जर ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के लिए सुगम्यता सुनिश्चित करने हेतु विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एक राष्ट्रव्यापी फ्लैगशिप अभियान के तौर पर एक सुगम्य भारत अभियान शुरू किया है। इस अभियान में देश के लोगों का समर्थन प्राप्त करना, जागरूकता कार्यक्रमों व कार्यशालाओं का आयोजन करना, विकलांगता पर ब्रोशरों एवं वीडियोज का सृजन करना, गैर-पहुंचनीय स्थानों के संबंध में सूचना प्राप्त करने हेतु मोबाईल एप्लिकेशंस के साथ पोर्टल का सृजन करना जैसे प्रयास प्रमुख रूप से शामिल है। इसके अलावा सुगम्य शौचालयों एवं सुगम्य रैंपो आदि के सृजन बारे प्रस्ताव अनुमोदित करने हेतु सूचना को प्रोसैस करना आदि भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भारत विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर यूएन कनवैंशन पर हस्ताक्षर करने वाला एक देश है। यूएनसीआरपीडी की धारा-9 के अन्तर्गत सरकारों पर सूचना और संचार सहित तकनीकों और सिस्टमों सहित भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना एवं संचार तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों को समान आधार पर पहुंच सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डाली गई है। वर्ष-2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दो करोड़ 68 लाख विकलांग व्यक्ति हैं जिनमें से 68 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। विकलांगजन समान अवसर,अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी अधिनियम,1995 की धारा-44,45 और 46 में विकलांग व्यक्तियों के साथ क्रमश: परिवहन, सड़क, निर्मित माहौल में भेदभाव न किए जाने का प्रावधान है। विकलांग व्यक्ति अधिनियम की धारा 46 के अनुसार राज्यों द्वारा कई प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इनमें सार्वजनिक भवनों में रैंप्स एवं व्हीलचेयर इस्तेमालकर्ताओं हेतु शौचालयों का अनुकूलन, एलिवेटरों और लिफ्टों में ब्रेल सिवेलों और आडिटर्स सिगनल्स, अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और अन्य चिकित्सा देखभाल और पुनर्वासन संस्थाओं में रैंप्स बनाना जरूरी है। अधिनियम की धारा-45 राज्य सरकारों पर विकलांग व्यक्तियों हेतु सार्वजनिक परिवहन पहुंचनीय बनाने के उपाय करने और ढलान बनाने,जेबरा क्रॉसिंग की सतह उत्कीर्ण करने की जिम्मेदारी डालती है।
श्री गुर्जर ने कहा कि एक सुगम्य भौतिक वातावरण हर किसी को लाभ प्रदान करता है। अपितु यह वृद्धों और अशक्त लोगों को भी लाभ प्रदान करता है। राज्य और जिला प्रशासनों को स्कूलों, चिकित्सा सुविधाओं से बाधाओं को दूर करने की उपाय करने चाहिए। भवनों में रेलिंगों और रैपों का निर्माण करना चाहिए, पैदल यात्रियों के आवागमन में बाधाओं को दूर करना चाहिए और निर्मित वातावरण में पहुंचनीयता का संवर्धन करना चाहिए।
श्री गुर्जर ने कहा कि सुगम्य ऑडिट सुगम्यता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है जिसमें नियोजन,डिजाइन,निर्माण,अनुरक्षण,मानीटरिंग और मूल्यांकन की प्रक्रियाओं के सभी चरण कवर होते है। दैनिक जीवन को स्वतंत्रतापूर्वक और सम्मानजनक ढंग से जीने हेतु सुगम्यता सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। कम संसाधनों के साथ जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों को सहायक यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु अनुसंधान, विकास, उत्पादन, वितरण और अनुरक्षण किया जाना शामिल है। इसके लिए मंत्रालय के पास एडिप और सिपड़ा योजनाएं हैं। विभिन्न विकलांगताओं हेतु समर्पित 7 राष्ट्रीय संस्थान विकलांगताओं को विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान करते है। इन सभी प्रयासों को विकलांग व्यक्तियों हेतु सार्वभौमिक पहुंच के संर्वधन में सहक्रियात्मक और कारगर बनाए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य ऐसे सुगम्य भवनों का निर्माण करने का होना चाहिए जहां एक विकलांग व्यक्ति कम से कम कठिनाई महसूस करे और इन सुविधाओं का लाभ उठा सके। जहां तक संभव हो सके सुगम्यताओं के मानक स्थानीय आवश्यकताओं के मद्देनजर आईएसओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानक होने चाहिएं। विकलांग व्यक्ति हवाई यात्रा, बस, टैक्सी और रेलगाड़ी जैसी परिवहन सेवाओं पर निर्भर होते हैं अत: इन सबको सुगम्य बनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलौत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस, महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता मंत्री राजकुमार एस बड़ोले, महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री दिवाकर राओटे, सहकारिता,विपणन एवं कपंड़ा मंत्री चन्द्रकांत पाटिल, विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग,भारत सरकार के सचिव लव वर्मा, संयुक्त सचिव अवनीश कुमार अवस्थी व मुकेश जैन, आईआईटी दिल्ली के प्रो० बालकृष्णन सहित केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार के अनेक अधिकारी भी उपस्थित थे।