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विजय दशमी की इस परम्परा को बनाए रखना चाहिए: कृष्णपाल गुर्जर

विजयदशमी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है: सीमा त्रिखा
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 23 अक्तूबर
: विजयदशमी का त्यौहार मनाने का अभिप्राय हमारी विश्व प्रसिद्व संस्कृति को युवा पीढ़ी से रुबरु कराकर संस्कारों के रुप में उन तक पहुंचाना है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने बतौर मुख्य अतिथि यह विचार एनआईटी स्थित दशहरा मैदान में फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन द्वारा आयोजित रावण दहन के अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहे। कृष्णपाल गुर्जर ने जनसमूह को विजय दशमी की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि विजय दशमी को सभी वर्गो के लोग बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं और इस परम्परा को हम सब को बनाए रखना चाहिए।
इस अवसर पर एडवोकेट ओपी शर्मा सहित फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन की चेयरपर्सन राधा नरूला, प्रधान जोगेन्द्र चावला, अतुल त्रिखा, प्रिया बब्बर, राजकुमार वोहरा, प्रधान जसवंत सिंह, हरदयाल मदान, ओमप्रकाश मदान, ओमप्रकाश ढिगड़ा, पप्पू खत्री, सूरजभान ठाकु र, कपिल शर्मा, हरेन्द्र शर्मा, विशम्बर भाटिया, जयपाल शर्मा, अमित आहूजा, संदीप चावल, आनंदकांत भाटिया सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस पावन मौके पर मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा ने कहा कि हमारी परम्परागत संस्कृति को युवाओं तक पंहुचाना हमारा नैतिक व सामाजिक दायित्व है, ताकि युवा अपनी संस्कृति से रूबरू होकर उसे विश्व में एक नई पहचान देने में अपना सहयोग दे। उन्होंने कहा कि विजयदशमी असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक होने के साथ बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी है। जिससे मिलने वाली शिक्षा को हमें अपने दैनिक जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए, तभी विजयदशमी जैसे त्यौहारों को मनाने का सही मायने में उद्देश्य पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में बिना किसी वैचारिक मतभेद के सभी लोगों को मिलकर अपना सामाजिक व नैतिक दायित्व का निर्वाह करना चाहिए।
शहरभर में वीरवार को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी लोगों ने उत्साह व श्रद्धापूर्वक मनाया। एनआईटी दशहरा मैदान में बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। जैसे ही सत्य के प्रतीक भगवान राम ने अहंकारी रावण के पुतले पर अग्निबाण चलाया, वैसे ही रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतले आतिशबाजी के धूम-धड़ाके के साथ धू-धू करके जल उठे। अहंकार और अधर्म के प्रतीक रावण, मेघनाद व कुंभकरण के पुतलों का जब दहन किया गया तो दशहरा मैदान श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा। रावण और उसके कुनबे के दहन का नजारा देखने दशहरा मैदान में भीड़ उमड़ी। इस जनसैलाब को देखकर पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूले दिखाई दिए। रावण दहन से पहले भगवान राम, लक्ष्मण व हनुमान जी की मनमोहक झांकी निकाली गई। परंपरा के मुताबिक जलते हुए रावण की लकडिय़ों को उठाकर लोग अपने घर ले गए।

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