चुनावों बाद प्राप्त इलेक्शन सर्टिफिकेट, प्रकाशित निर्वाचन नोटिफिकेशन और तत्पश्चात शपथ ग्रहण में सदस्य/मेंबर शब्द का किया जाता है प्रयोग।
सरकारी आदेशों की बजाए विधानसभा द्वारा म्युनिसिपल कानूनों में संशोधन करने से बनाया जा सकता काऊंसलर या पार्षद।
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
Chandigarh/Faridabad, 6 दिसंबर: नगर निकायों के अंतर्गत नगर निगम के चुने और मनोनीत/नामित हुए सदस्यों द्वारा पार्षद लिखना गैर-कानूनी है जिस पर कि कार्यवाही हो सकती है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 कहता है। ऐसा सुनने और पढऩे में भले ही आश्चर्यजनक प्रतीत हो, परन्तु वास्तविकता यही है कि हरियाणा प्रदेश में वर्तमान स्थापित कुल 87 नगर निकायों Local Body (नगर निगमों, नगरपालिका परिषदों एवं नगरपालिका समितियों) में कानूनन कोई भी पार्षद/म्युनिसिपल काऊंसलर नहीं है। जबकि लिखते सब पार्षद ही हैं।
हरियाणा में हर शहरी निकाय के चुनाव में मतदान पश्चात सम्पन्न मतगणना के बाद उस निकाय के अंतर्गत पडऩे वाले सभी वार्डों से विजयी रहे निर्वाचित प्रत्याशियों को जो निर्वाचन प्रमाण-पत्र (इलेक्शन सर्टिफिकेट) सम्बंधित चुनाव के रिटर्निंग अफसर/आरओ (निर्वाचन अधिकारी) द्वारा प्रदान किया जाता है, उसमें पार्षद (काऊंसलर) शब्द का नहीं बल्कि सम्बंधित नगर निगम/नगर परिषद/नगर पालिका के सदस्य (मेंबर) शब्द का ही उल्लेख होता है।
यहीं नहीं, निकाय चुनावों की प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा विभिन्न शहरी निकायों के वार्डों से विजयी रहे प्रत्याशियों के सम्बन्ध में सरकारी गजट में प्रकाशित निर्वाचन नोटिफिकेशन में भी उनके लिए पार्षद या म्युनिसिपल काऊंसलर (एमसी) शब्द की बजाय सदस्य (मेंबर) शब्द का ही प्रयोग किया जाता है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित निर्वाचन नोटिफिकेशन के 30 दिनों के भीतर नगर निकाय के सम्बंधित मंडल आयुक्त द्वारा अथवा जिले के उपायुक्त (डीसी) द्वारा या उनके द्वारा अधिकृत किसी गजटेड अधिकारी द्वारा नगर निकाय के वार्डो से निर्वाचित प्रत्याशियों को पद और निष्ठा की शपथ भी संबंधित नगर निकाय के सदस्य अर्थात मेम्बर के तौर पर ही दिलाई जाती है न कि सम्बंधित नगर निकाय के पार्षद/काऊंसलर के तौर पर।
उदाहरण के तौर पर हाल ही में फरीदाबाद नगर निगम में जिन तीन लोगों को सरकार ने सदस्य मनोनीत किया था जिनको कि मेयर प्रवीण जोशी ने दो दिसंबर को ही शपथ दिलवाई थी, उनको भी नगर निगम के सदस्य के तौर पर शपथ दिलवाई गई थी और उन्होंने शपथ भी मनोनीत/नामित सदस्यों के रूप में ही ली ना कि पार्षद के तौर पर। वो बात अलग है कि नगर निगम के प्रेस नोट में पार्षद लिखकर आया था जबकि वहां कांफ्रेंस हॉल में जो बोर्ड लगे थे उनमें निगम सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह लिखा हुआ था। नगर निगम में मनोनीत सदस्यों के नाम बल्लभगढ़ निवासी योगेश शर्मा, ग्राम चंदावली निवासी जसवंत सैनी तथा ग्रेटर फरीदाबाद निवासी प्रियंका बिष्ट बिधूनी हैं। प्रुफ के तौर पर बोर्ड की फोटो और वीडियो नीचे है।
यहां यह भी बता दें कि न केवल चुनाव जीते प्रत्याशियों और उनके समर्थकों आदि द्वारा बल्कि यहां तक कि स्थानीय निकाय के निवासियों द्वारा अपने क्षेत्र के वार्डों से निर्वाचित होने वालों को वार्ड पार्षद या म्युनिसिपल काऊंसलर (एमसी) शब्द के तौर पर ही सम्बोधित किया जाता है जिससे निकाय क्षेत्र के मतदाताओं और स्थानीय निवासियों में यही आम धारणा बन गयी है कि उनके संबंधित वार्ड क्षेत्र से चुनाव जीतने वाला उम्मीदवार सम्बंधित नगर निकाय का पार्षद/काऊंसलर ही है, जोकि कानूनन गलत है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट और म्यूनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार ने इस सम्बन्ध में एक अत्यंत रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि यहां क्योंकि 52 वर्ष पूर्व बने हरियाणा म्युनिसिपल (नगरपालिका) कानून-1973, जो प्रदेश की सभी नगर पालिका समितियों और नगर परिषदों पर लागू होता है एवं इसके अंतर्गत बनाये गये हरियाणा म्युनिसिपल निर्वाचन नियमों 1978, जिसके आधार पर हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा आम चुनाव/उप-चुनाव कराये जाते हैं, दोनों में कहीं भी पार्षद/काऊंसलर शब्द ही नहीं है।
इसकी बजाए उपरोक्त 1973 कानून की धारा 2 (14ए) में सदस्य (मेंबर) शब्द का प्रयोग किया गया है। ठीक इसी प्रकार हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 जो प्रदेश की सभी नगर निगमों पर लागू होता है, की धारा 2(24) में और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमों, 1994 में भी पार्षद/काऊंसलर के स्थान पर सदस्य (मेंबर) शब्द का ही प्रयोग किया गया है।
हेमंत ने बताया कि बेशक देश के कई राज्यों जैसे पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में स्थापित नगर निकायों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पार्षद/काऊंसलर शब्द का प्रयोग किया जाता है, परन्तु वहां ऐसा करना कानूनन वैध है। क्योंकि उन सभी प्रदेशों के सम्बंधित म्युनिसिपल कानूनों में पार्षद शब्द का उल्लेख किया गया है। परन्तु हरियाणा के दोनों म्युनिसिपल कानून में यह शब्द नहीं है। यहां तक कि भारत के संविधान में म्युनिसिपेलिटी से सम्बंधित भाग 9ए एवं अनुच्छेद 243 के खंडों में भी पार्षद/काऊंसलर शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है।
बहरहाल, हेमंत ने बताया कि अगर मौजूदा नायब सैनी सरकार चाहे तो प्रदेश विधानसभा मार्र्फत हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में उपयुक्त संशोधन कर दोनों कानूनों में मेम्बर (सदस्य) शब्द के स्थान पर पार्षद या काऊंसलर शब्द डाला जा सकता है।







