नवीन गुप्ता
चंडीगढ़/फरीदाबाद: आरएसएस पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर दिवाली के अवसर पर पत्रकारों को शगुन के नाम पर लक्ष्मी गणेश या देश के किसी महापुरूषों की जगह फिरंगियों की फोटो छपे चांदी के सिक्कों देकर किस प्रकार की देशभक्ति साबित करना चाहते है और ऐसा करके पत्रकारों के माध्यम से देश-प्रदेश को क्या संदेश देना चाहते है, यह समझ से परे है।
गौरतलब रहे कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल द्वारा दिए गए इन चांदी के सिक्कों पर जार्ज वी किंग इंपीरियर तथा विक्टोरिया क्वीन जैसे उन फिरंगियों की फोटो छपी हुई है जिन्होंने कि भारतीयों को सदियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर रखा हुआ था।
मुख्यमंत्री ने ऐसा करके अपने लिए बैठै-बिठाए एक बार फिर से आफत मोल ले ली है। पत्रकार बिरादरी में इन सिक्कों के बांटे जाने के बाद प्रदेश की सियासी राजनीति गर्मा गई है। गौरतलब रहे कि दिवाली के अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने लोक सम्र्पक विभाग के माध्यम से प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को फिरंगियों की फोटो छपे चांदी के सिक्के बांटे है, जिसकी पत्रकार बिरादरी द्वारा निंदा की जा रही है।
यहां यह बात भी ध्यान रहे कि पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री मनोहरलाल जाने-अन्जाने में कोई न कोई काम ऐसा कर रहे है जिससे कि उनकी किरकिरी हो रही है। मामला चाहे बीफ को लेकर दिया गया उनके बयान का हो, रोहतक की दो विवादास्पद बहनों को सम्मानित करने का या फिर सुनपेड़ कांड में दलित परिवार को जल्दबाजी में 10 लाख का सरकारी अनुदान देने का, इन सभी मामलों में उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।
ईमानदार नेता की छवि रखने वाले मुख्यमंत्री महोदय ने ऐसा कर जहां पत्रकारों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है वहीं विपक्षी पार्टी के नेताओं को भी घर बैठे बिठाए सरकार को घेरने का एक मुद्दा दे दिया है।
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बताकर फिरंगियों की फोटो छपे चांदी के सिक्कों को उन्हें भेजे जाने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या लोकतंत्र के अन्य तीन स्तंभों विधानपालिका यानि विधायकों, न्यायपालिका यानि जजों और कार्यपालिका यानि अफसरों को भी चांदी के ये सिक्के भेजे गए हैं। अगर नहीं तो आखिर क्यों? इसका मतलब सरकार ने पत्रकारों को चांदी के सिक्कों से खरीदने का प्रयास किया है।
वैसे तो हर भारतीय कांग्रेस सरकारों को ही अंग्रेजी शासन का बदलता रूप मानते रहे हैं पर राष्ट्रवादी सोच रखने वाली भाजपा के मुख्यमंत्री ने पार्टी विचारधारा से अलग हट कर पत्रकारों को कथित तौर पर खरीदने का जो प्रयास किया है, वह वास्तव में निंदनीय है।
अब सवाल यहां यह उठता है कि क्या ये चांदी के सिक्के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने अपनी पसर्नल जेब से खरीदे हैं या सरकारी खजाने से। अगर अपनी जेब के पैसों से खरीदकर पत्रकारों से अपने संबंध मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने ये चांदी के सिक्के बांटे है तो इसके लिए सरकारी लोक संपर्क विभाग की सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों किया? और यदि आम जनता के टैक्स से इकट्ठा होने वाले सरकारी खजाने से ये सिक्के खरीदे गए है तो पत्रकारों को देने के लिए क्या आपने किसी से पूछा? इसका मतलब तो मुख्यमंत्री जो मर्जी कर दे, उसे पूछने वाला कोई नहीं है।
जो भी हो, मुख्यमंत्री ने उक्त कदम उठाकर एक बार फिर से इस मामले में अपनी अनुभवहीनता का परिचय दिया है।
इस संदर्भ में जब फरीदाबाद के विधायक विपुल गोयल से पूछा गया तो उन्होंने इस मामले में अपनी अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कुछ भी कहने से बचते रहे।
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