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वाईएमसीए विश्वविद्यालय में संविधान दिवस पर परिचर्चा आयोजित

डॉ० भीम राव अम्बेडकर को 125वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि
जस्प्रीत कौर
फरीदाबाद, 26 नवंबर:
वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फरीदाबाद द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आज एक संगोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया तथा भारतीय संविधान निर्माता डॉ० भीम राव आम्बेडकर को श्रद्धांजलि दी गई।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसी दिन वर्ष 1949 में भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया था। यह दिवस संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ० भीम राव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर उनको श्रद्धांजलि देने एवं इस कड़ी में वर्ष-भर होने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा है।
इस अवसर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ० सुखबीर सिंह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे तथा डॉ० अंबेडकर एवं भारतीय संविधान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरूआत कुलपति डॉ० दिनेश कुमार फैकल्टी आफ इंजीनियरिंग एवं टैक्नोलॉजी के डीन डॉ० संदीप ग्रोवर तथा डॉ० सुखबीर सिंह द्वारा विधिवत रूप से भारत रत्न डॉ० अम्बेडकर के चित्र पर माल्र्यापण तथा पुष्प अर्पण द्वारा हुई। कुल सचिव डॉ० तिलक राज तथा मानविकी एवं विज्ञान विभाग के डीन तथा एससी व एसटी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ० राज कुमार ने भी डॉ० अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
डॉ. सुखबीर सिंह ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। डॉ० सिंह ने कहा कि डॉ० आंबेडकर संविधान निर्माता के साथ-साथ प्रबुद्ध चिंतक एवं सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे। उन्होंने समाज में विद्यमान रूढि़वादी मांयताओं एवं विषमताओं के विरूद्ध तथा सामाजिक न्याय एवं कमजोरों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा संविधान होते हुए भी भारतीय संविधान ने देश को स्थायित्व दिया है। संविधान में विधायिका एवं न्यायपालिका में बेहतरीन सामान्जस्य स्थापित किया है जो इसकी अनूठी विशेषता है।
कुलपति डॉ० कुमार ने डॉ० आंबेडकर को एक महान विधिवेता एवं शिक्षाविद बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान ने देश में अब तक लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखा है जिसका श्रेय संविधान निर्माताओं को जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ० आंबेडकर ने अपना समस्त जीवन भारतीय समाज के कल्याण तथा कमजोर वर्गों उत्थान के लिए लगा दिया। युवा पीढ़ी को डॉ० आंबेडकर जैसी महान विभूतियों से सीख लेनी चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान डॉ० आंबेडकर एवं उनके जीवन पर आधारित लगभग 5 मिनट का एक वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया। विद्यार्थियों द्वारा भी डॉ० आंबेडकर के जीवन एवं भारतीय संविधान की प्रस्तावना चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ० सोनिया बंसल ने किया। कार्यक्रम के अंत में कुल सचिव डॉ० तिलक राज ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
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