दशहरा, करवा चौथ फीका अब दीवाली मनेगी काली:शर्मिला हुडा
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़, 10 अक्टूबर: हयूमन रिसर्च मैनेजमेंट सिस्टम एचआरएमएस सरकार द्वारा जारी किया गया तुगलकी फरमान गले की फांस बन गया है। अक्टूबर माह में दशहरा, करवा चौथ व दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार तथा त्यौहारी सीजन जोरों पर है। इन महत्वपूर्ण त्यौहारों को लेकर खासकर महिलाओं और बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिलता है, लेकिन शिक्षा विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों को पहले दशहरा, करवा चौथ फीका अब काली दीवाली मनाने पर कर्मचारी मजबूर हैं। शिक्षा विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बाजार में दुकानदार उधार में राशन तक नहीं दे रहा है। हरियाणा एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल स्टॉफ एसोसिएशन हेमसा सबंद्व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की प्रांतीय उपाध्यक्ष शर्मिला देवी हुडा ने बताया कि सरकार द्वारा जारी किए गए तुगलकी विदेशी फरमानों से स्पष्ट है कि मिनिस्ट्रीयल स्टॉफ के कैडर को खत्म करने की गहरी साजिश है। सरकारी विभागों में एमआईएस पोर्टल, पेपरलेस ऑफसिज व अब एचआरएमएस जैसी नीतियों को बड़ी तेजी से लागू कर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का कार्य जोरों पर है।
भारत सरकार मेकिंग इंडिया, डिजीटल इंडिया, विदेशी छोड़ों स्वदेशी अपनाओं का नारा देती है। वहीं दूसरी तरफ सरकारी विभागों में बड़ी तेजी से आऊट सोर्सिंग, ठेका प्रथा, निजीकरण, पीपीपी व विदेशी नीतियों को खुलेआम छूट दी जा रही है। सरकार द्वारा जारी किए गए बेतुकी फरमानों से जहां कर्मचारियों का वेतन समय पर न मिलना वहीं बेरोजगारों के रोजगार पर भी संकट के गहरे बादल मंडरा गए हैं।
हरियाणा सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 2 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। सरकारी विभागों में कम्प्यूटरीकरण, मानविहीन कार्य स्थापित कर रोजगारों को जड़ से खत्तम किया जा रहा है। एचआरएमएस से लगभग डेढ़ लाख कर्मचारियों का वेतन अटक गया है। त्यौहारी सीजन में कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलना अति अनिवार्य है। किसी भी कर्मचारी संगठन ने मांग नहीं की थी कि इन नीतियों को लागू कर कर्मचारियों का परेशान किया जाए।
शर्मिला हुडा ने कहा कि सरकारी विभागों में प्रति माह लगभग 5 हजार कर्मचारी सेवा निवृत हो रहे हैं। जनता को कार्य के लिए भी दर-दर की ठोकरें मजबूरन खानी पड़ रही हैं। सरकार को चाहिए कि इन पूंजीपतियों की नीतियों से किनारा करते हुए खाली पड़े पदों पर शीघ्र भर्ती करने का प्रबंध किया जाए तथा चुनाव से पूर्व कर्मचारियों के साथ जो वायदे किए थे उन्हें बिना किसी विलम्ब के लागू किया जाए अन्यथा विवश होकर संगठनिक कदम उठाना पड़ेगा।