प्रधानमंत्री के नाम पर कर रहे हैं करोड़ों का निवेश
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 1 मार्च: हरियाणा के तेजतर्रार उद्योग एवं पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ने हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने के लिए जिस रफ्तार व तरीके को अपनाया है वो अगर फिट बैठ जाता है तो यह फरीदाबाद की जनता के लिए एक गौरव की बात होगी। अगर ऐसा हुआ तो पहली बार होगा कि जब प्रदेश का मुख्यमंत्री फरीदाबाद की धरती से हो। विपुल गोयल का यह तरीका है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) व विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गुड लिस्ट में शामिल लोगों को अनुग्रहित कर उन पर अपना विश्वास जमा उन्हें अपना मुरीद बनाना।
अगर देखा जाए तो विपुल गोयल अपने इस मिशन में काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं जिसका परिणाम उनको मंत्रीमंडल विस्तार में स्थान मिलना था। विपुल ने अपनी उक्त मुहिम के तहत भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी डॉ.अनिल जैन, आरएसएस के प्रांत कार्यवाह पवन जिंदल, देव प्रसाद भारद्वाज, गंगाशंकर मिश्र सहित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील कुमार को तो बताते है अपने विश्वास में ले लिया है। ये लोग विपुल की भतीजी टीना गोयल की शादी में 11 फरवरी को शरीक भी हुए थे। इस शादी की विशेष बात यह थी कि इस दिन विपुल गोयल ने जहां 31 कन्याओं की शादी करवाई वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी मेंं 101 जरूरतमंदों को घर देने का कार्य करते हुए इन 101 लाभार्थियों को शादी समारोह में घर बनाने के लिए चेक भी दिए।
विपुल गोयल के विश्वस्त लोगों का कहना है कि अपने विधानसभा क्षेत्र की बजाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में वहां के लोगों के लिए उक्त कार्य कर विपुल मोदी की नजरों में आकर मुख्यमंत्री की कुर्सी को पा सकते हैं।
गौरतलब रहे कि इससे पहले विपुल गोयल देशभर में ख्याति प्राप्त करने के लिए पौधारोपण, सेलेब्रेटिज क्रिकेट मैच, टाऊन पार्क में सबसे ऊंचा झंडा फहराने आदि जैसे कार्य कर चुके हैं। इसके लिए बाकायदा उन्होंने शहर के धनकुबेरों या कहिए धन्नासेठों के साथ मिलकर एक नवचेतना ट्रस्ट भी बनाया हुआ है। इस ट्रस्ट में इन धनकुबेरों की कंपनियों का सीएसआर का पैसा लिया जाता है जोकि ट्रस्ट के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों के तहत विपुल गोयल की छवि को बनाने में खर्च किया जाता है।
काबिलेगौर रहे कि वैसे तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पिछले दिनों रोहतक में अगले विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में ही होने की बात कह चुके हैं। लेकिन जिस तरीके से रोहतक में विपुल गोयल को अमित शाह के इर्द-गिर्द देखा गया और उनसे उनकी नजदीकियां लगातर बढ़ती बताई जा रही हैं, उसे देखते हुए कहीं सन् 2004 में हरियाणा के विधानसभा चुनावों की याद ताजा ना हो जाए। ध्यान रहे कि सन् 2004 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के नेतृत्व में कराए थे और जब इन चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिल गया था तो उसी कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश का मुख्यमंत्री भजनलाल को बनाने की बजाए भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को बना दिया गया था और भजनलाल को राजनैतिक हाशिए पर ला खड़ाकर दिया था। यही कारण रहा था कि उस समय अपना राजनैतिक कैरियर खराब होता देख भजनलाल ने अपनी अलग राजनैतिक पार्टी बना ली थी। वो बात अलग है कि अब भजनलाल के मरणोपरांत उस पार्टी का विलय काफी राजनैतिक जद्दोजहद के बाद उनके वारिस कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस में ही कर दिया। अर्थात कहीं ऐसा ना हो कि सन् 2019 के चुनाव लड़े तो जाएं मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में और भाजपा को बहुमत मिलने या फिर विधायकों की जमा-घटा या कहिए खरीद-फरोख्त होने के चलते मुख्यमंत्री की सीट पर विपुल गोयल को बैठा दिया जाए। यहां यह बात भी ध्यान रहे कि विपुल गोयल साम-दाम-दंड-भेद की राजनीति करने का दम रखते है और मुख्यमंत्री बनने की राह में कोई रोड़ा आ भी गया तो वो पैसे को पानी की तरह बहाने में कोई गुरेज भी नहीं करेंगे। विपुल गोयल के बारे में माना जाता है कि वो जो सोच लेते है वो करके मानते है चाहे उसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों ना करने पड़े।
अब देखना यह कि विपुल गोयल अपने मुख्यमंत्री बनने के सपने को कब तक साकार कर फरीदाबाद का खोया हुआ गौरव पुन: दिला पाते है और उनके इस सपने में रोड़ा अटकाने वालों का वे क्या हश्र करते हैं।