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निर्माणाधीन मंझावली पुल में एक बार फिर धमाके के साथ जानिए क्या हुआ?

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मैट्रो प्लस से तरुण तायल / नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
मंझावली पुल एक तरफ से बन रहा है और दूसरी तरफ से रहा है टूट।
निर्माणाधीन मंझावली पुल से आ रही है एक बड़े घोटाले की बू!

फरीदाबाद, 6 मई: नहर पार खादर में यमुना नदी पर बन रहे फरीदाबाद और ग्रेटर नोएडा को जोडऩे वाले मंझावली पुल में अब एक बार फिर दरार आ गई हैं। पुल पर काम करने वाले मजदूरों की माने तो कल शाम एक तेज धमाका हुआ और वे डर गए, तब थोड़ी देर में पता चला कि पुल में दरार आ गई हैं। हालांकि इस संबंध में कोई भी संबंधित अधिकारी खुल को बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। इस घटना से एक बार फिर मंझावली पुल के निर्माण में प्रयोग किए जाने वाली निर्माझज्ञ सामग्री की गुणवत्ता पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। यही कारण है कि यहां पुल पर काम करने वाले मजदूर एक बार फिर अपने आपको असुरक्षित समझने लगे हैं।
ध्यान रहे कि इस मंझावली पुल का निर्माण कार्य अगस्त-2014 में शुरू हुआ था। मतलब 6 साल होने को आये हैं करीब 400 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को। पुल को पूरा करने का पहला वायदा 18 महीनों में पूरा होने का था, लेकिन ये अब भी ये पूरा होता नजर नहीं आ रहा। फरीदाबाद के विकास के पहियों की रफ्तार में रोड़ा बन हुआ ये पुल अब एक और सदमा लेकर आया है।
स्मरण रहे कि इस पुल के निर्माण कार्य की आखिरी डेडलाइन जून 2020 रखी गयी थी थी, लेकिन बात अब इसकी डेडलाइन की नहीं है। इससे गुजरना कितना खतरनाक हो सकता है, कितने लोगों की जान जा सकती है बात उसकी है।
देश में पहली बार कोई फ्लाईओवर नहीं बन रहा जोकि ये कहा जाए कि निर्माण में खामियां आ सकती हैं। लेकिन पुल का हिस्सा निर्माण कार्य के दौरान ही टूट रहा है। खम्बों पर पुल का हिस्सा रखने के दौरान हिस्से टूट रहे हैं। सिर्फ दरार नहीं आ रही। ये बड़ी खबर है।
सूत्रों के अनुसार इससे पहले भी पुल के एक हिस्से को लाकर जब रखा जा रहा था तब भी ऐसा ही हुआ था और अब फिर ऐसा ही हुआ है। पुल की गुणवत्ता को लेकर बड़ा सवाल है।
अब तक हम सिर्फ इंतजार कर रहे थे कब मंझावली पुल बने। कब फरीदाबाद से नोएडा और नोएडा से फरीदाबाद आना आसान हो। लेकिन जिस हाल में ये बन रहा है वो डरा रहा है। तस्वीरें डरा रही हैं। और कितने साल चाहिए इसे बनने में और सही गुणवत्ता के साथ बनने में। क्या ये जनता के साथ धोखा नहीं? वो क्यों दिल्ली में धक्के खा समय बर्बाद करें, तेल फूंकें और बदरपुर टोल दे कब तक नोएडा जाए? जबकि उसे महज एक फ्लाईओवर से गुजरना था। 18 महीने में पूरा होना था महज इस प्रोजेक्ट को। बदरपुर टोल वसूली के कारण देरी तो नहीं हुई? कारण चाहे जो भी होच 600 मीटर लंबे इस पुल के प्रोजेक्ट की हरियाणा सरकार को उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। ये आमजन की सुरक्षित यात्रा के साथ बड़ा खिलवाड़ हो सकता है और घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल कर बड़ा घोटाला भी।


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