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STF के छापे में NCERT की नकली किताबें पकड़ी, 35 करोड़ का माल बरामद!

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
मेरठ, 22 अगस्त:
पुलिस और STF की टीम ने मिलकर एक कथित भाजपा नेता की प्रिंटिंग प्रेस में चल रहे गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। प्रिंटिंग प्रेस में NCERT की नकली किताबों की छपाई का काम धड़ल्ले से चल रहा था। इस मामले की जानकारी आर्मी इंटेलिजेंस की ओर से दी गई थी।
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त छापेमारी में 35 करोड़ रुपये की एनसीईआरटी की किताबें मिली हैं। ये किताबें एक प्रिंटिंग प्रेस में छापी जा रही थीं। इस कार्रवाई के दौरान 6 प्रिटिंग मशीनें भी मिली हैं।
आरोप है कि कथित बीजेपी नेता एनसीईआरटी की नकली किताबों की छपाई करता था। इसके साथ ही मेरठ से इन किताबों की सप्लाई कई दूसरे राज्यों जैसे उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान में हो रही थी। इसके अलावा यूपी के कई जिलों में भी ये नकली किताबें भेजी जा रही थीं।
एनसीईआरटी की किताबें मेरठ में बड़े पैमाने पर छापी जा रही थीं:-
ये किताबें जब आर्मी स्कूल तक पहुंची तो गुपचुप तरीके से इसकी जांच आर्मी ने अपने स्तर से कराई। इसके बाद पता चला कि ये किताबें मेरठ के परतापुर इलाके में छापी जा रही हैं। आर्मी इंटेलिजेंस इस पूरे मामले की तह तक पहुंच गई। चूंकि मामला सिविल पुलिस का था इसलिए इस पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी एसटीएफ को दी गई। एसटीएफ ने किताबों का फर्जीवाड़ा पकडऩे के लिए जाल बिछाया और शुक्रवार को मेरठ पुलिस के सहयोग से प्रिटिंग प्रेस में छापा मारकर 35 करोड़ की फर्जी एनसीईआरटी की किताबों का जखीरा बरामद कर लिया।
छापेमारी के दौरान भी चल रहा था काम:-
बताया जाता है कि जिस समय एसटीएफ ने प्रिटिंग प्रेस में छापेमारी की उस दौरान काम चल रहा था। सभी प्रिंटिंग मशीनें चालू थीं और किताबों की छपाई और उनकी बाइंडिंग का काम किया जा रहा था। एसटीएफ ने प्रिटिंग प्रेस में काम कर रहे दो दर्जन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, जिनमें महिलाएं भी है शामिल हैं। हालांकि, इन लोगों के नाम पते नोट करके पुलिस ने इनमें से अधिकांश को छोड़ दिया है।
…..और नजरों के सामने से निकल गया आरोपी:-
जब प्रिंटिंग प्रेस में सीओ और एसटीएफ ने छापेमारी की, उस दौरान वहां पर कथित बीजेपी नेता और प्रिटिंग प्रेस मालिक भी मौजूद था। बताते हैं कि वह बीजेपी का झंडा लगी क्रेटा गाड़ी में बैठकर बड़े इत्मिनान से फरार हो गया। यह प्रिटिंग प्रेस मेरठ में थाना परतापुर के गगोल के काशी गांव में चल रहा था।
इस मामले में एसएसपी अजय साहनी के मुताबिक परतापुर-अच्छरौंडा-कांशी गांव के मार्ग पर गोदाम में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की फर्जी पुस्तकों का गोदाम होने की सूचना मिली थी। यह गोदाम सुशांत सिटी परतापुर निवासी प्रकाशक सचिन गुप्ता का बताया गया। सचिन की टीएनएचके प्रिंट एंड पब्लिशर के नाम से मोहकमपुर में प्रिंटिंग प्रेस है। गोदाम का सारा सामान सील करने के बाद संयुक्त टीम मोहकमपुर प्रिंटिंग प्रेस पर पहुंची। जहां पर आरोपियों ने सुबूत मिटाने के लिए पुस्तकों में आग लगा दी और फरार हो गए। पुलिस ने आग बुझाकर कार्रवाई शुरू कर दी। जांच में सामने आया कि प्रिंटिंग प्रेस और गोदाम में फर्जी पुस्तकें तैयार की जा रही थीं। एसएसपी के अनुसार आरोपी सचिन गुप्ता के मैनेजर सुनील कुमार और सुपरवाइजर अमरीश कुमार समेत डेढ़ दर्जन से पूछताछ की जा रही है।
कई प्रकाशक कर रहे फर्जीवाड़ा:-
पुलिस के अनुसार एनसीईआरटी भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है। सरकारी और निजी सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें अनिवार्य हैं। परतापुर के गोदाम और प्रिंटिंग प्रेस में जो एनसीईआरटी की फर्जी पुस्तकें पकड़ी गई हैं, उनको दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था। मौके से जो छह मशीनें बरामद की गई हैं, उन पर ये पुस्तकें छापी जा रही थीं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मेरठ में और भी कई प्रकाशक इस तरह के फर्जीवाड़े में लिप्त हैं। 
इस मामले में जिस व्यक्ति को भाजपा नेता बताया गया, उसको लेकर पुलिस प्रवक्ता का कहना था कि वो बीजेपी नेता नहीं था। एक-दूसरे के रिश्तेदार तो होते ही हैं।


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