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नए राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में फंस सकता है कानूनी/संवैधानिक पेच: एडवोकेट हेमंत

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Chandigarh, 24 मई: हरियाणा सरकार द्वारा सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत मुख्यमंत्री CM की अध्यक्षता में गठित विशेष चयन समिति की अनुसंशा पर राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के 5 रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए फेाइनल व्यक्तियों में एक नाम अम्बाला कैंट से नीता खेड़ा का भी है। संभवत: सोमवार, 26 मई को नए राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और नीता खेड़ा सहित चार अन्य सूचना आयुक्तों नामत: अमरजीत सिंह, कर्मवीर सैनी, प्रियंका धोपरा और संजय मदान को राज्यपाल (या मुख्यमंत्री) द्वारा पद और निष्ठा की शपथ दिलाई जायेगी।

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि वैसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 319 (D) के अनुसार नीता खेड़ा, जो अगस्त-2016 से अगस्त-2022 तक हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की सदस्य रही थी, वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की चेयरपर्सन या सदस्य अथवा HPSC की या किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग की चेयरपर्सन तो नियुक्त हो सकती हैं, परंतु केंद्र सरकार और हरियाणा सहित राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर उनकी नियुक्ति नहीं हो सकती है।

बकौल एडवोकेट हेमंत कुमार ठीक ऐसा ही मामला आज से दो वर्ष पूर्व अप्रैल-2023 में भी हुआ था जब डॉ. कुलबीर छिकारा की भी हरियाणा में सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति की गई थी। छिकारा जून-2015 से अगस्त-2021 तक HPSC के सदस्य रहे थे। उनका हरियाणा सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के तौर पर कार्यकाल अगले वर्ष अप्रैल-2026 तक है। बेशक गत् दो वर्षो में किसी ने उपरोक्त संवैधानिक अवरोध के आधार पर डॉ. छिकारा की सूचना आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को अदालत में चुनौती नहीं दी है, परन्तु इसका यह अर्थ कतई नहीं कि अब ऐसा नहीं किया जा सकता है।

इसी सप्ताह ही हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय कमेटी जिसमें प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री महिपाल ढांडा और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के विशेष प्रतिनिधि के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल थे, ने नीता खेड़ा सहित अन्य सूचना आयुक्तों और मुख्य सूचना आयुक्तों पर नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की थी। उससे पूर्व हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता वाला तीन वरिष्ठ IAS अधिकारियों की समिति ने सूचना आयुक्तों के पदों के लिए प्राप्त हुए सभी आवेदनों की छंटनी कर कुल पदों के तीन गुना नाम मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी के भेजे थे।

बहरहाल, एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि बेशक राज्य सूचना आयुक्त का पद एक वैधानिक पद है जो देश की संसद द्वारा अधिनियमित सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत पड़ता है। परंतु संविधान के उक्त अनुच्छेद 319 (D) के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य की ऐसे वैधानिक पद पर नियुक्ति नही की जा सकती है। अगर कोई नीता खेड़ा और यहां तक कि गत् दो वर्षो से कार्यरत डॉ. कुलबीर छिकारा की सूचना आयुक्त को तौर पर की गई नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती देता है तो अदालत दोनों की नियुक्ति को खारिज भी कर सकती है।

यह पूछे जाने पर कि हरियाणा सरकार यह दलील देती है कि राज्य सूचना आयोग एक स्वायत्त और क्वसि-जूडिशल (अर्ध-न्यायिक) संस्था है, इसलिए उसमें नीता खेड़ा और डॉ. छिकारा की नियुक्ति में कोई अवरोध नहीं।

हेमंत ने बताया कि कोई भी अथॉरिटी, आयोग या कमेटी आदि जिसे राज्य/केंद्र सरकार के आदेशों से या राज्य विधानमंडल/संसद द्वारा अधिनियमित किए गए किसी कानून के अंतर्गत बनाया और संचालित किया जाए तो उसमें की गई किसी भी नियुक्ति को उपयुक्त सरकार अर्थात राज्य या केंद्र सरकार के अधीन ही नियुक्ति माना जाता है।

यहां यह भी लिखने योग्य है कि गत 20 वर्षो में जब से देश में RTI कानून-2005 लागू हुआ, तब से केंद्र सरकार ने UPSC के किसी पूर्व चेयरमैन या सदस्य की केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्ति नहीं की है।


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