सट्टेबाज राजेश भाटिया पर दर्ज हो चुके हैं डकैती सहित छह अलग-अलग आपराधिक मामले
…..जब राजेश भाटिया के चोले को उखाड़ फैंका प्रशासन ने
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 2 नवम्बर: राजेश भाटिया, यह वह नाम है जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है, खासकर एनआईटी क्षेत्र में। वो बात अलग है कि शहर में उसे यह पहचान किसी समाजसेवा के लिए नहीं बल्कि शहर के लोगों में आतंक फैलाने तथा सट्टा बुक्की के तौर पर मिली है।
हाल-फिलहाल राजेश भाटिया के साथ जो कहावत चरितार्थ हो रही है, वह है नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। यानि श्री सिद्वपीठ हनुमान मंदिर नंबर-1 का जबरन प्रधान बनकर कल तक लोगों का सट्टा खिलाने वाला राजेश भाटिया जो समाजसेवा का चोला पहनकर अपने आपको एक धार्मिक व समाजसेवी व्यक्ति साबित करना चाहता था उसकी इस मंशा पर जिला प्रशासन ने पानी फेरते हुए मंदिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया और मंदिर में सिटी मजिस्ट्रेट को प्रशासक के तौर पर बैठा दिया।
रही बात राजेश भाटिया द्वारा क्षेत्र की जनता को अपनी साफ-स्वच्छ व ईमानदार छवि बताकर गुमराह करने की कोशिश करने की तो यहां हम आपको यह बता दें कि गुंडा प्रवृति के राजेश भाटिया पर पुलिस विभाग में विभिन्न धाराओं के तहत छह अलग-अलग आपराधिक मामले पूर्व में दर्ज है।
इनमें से एक मामले में राजेश भाटिया अपने भाईयों के साथ करीब दो माह की जेल भी काट चुका है। हालांकि इस मामले में दो माह बाद उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी। सट्टेबाज राजेश भाटिया पर डकैती, अपहरण, मारपीट, जुआ खेलना-खिलाना, चुनाव के दौरान बूथ कैप्चर करना सहित कई अन्य मामले पूर्व में दर्ज हो चुके हैं जो राजेश भाटिया की आपराधिक प्रवृति का बखान करते हैं। इतना ही नहीं लोगों में तो यह भी चर्चा है कि राजेश भाटिया की इस आपराधिक प्रवृति से परेशान होकर करीब 5 लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं।
ध्यान रहे कि पिछले कई वर्षों से कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी मंदिर पर जबरन कब्जा किए हुए बैठे राजेश भाटिया जोकि अभी भी अपने आपको एनआईटी मार्किट नंबर-1 स्थित श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर का प्रधान बताते हैं, कोर्ट में अब तक भी अपने आपको मंदिर कमेटी का सदस्य तक साबित नहीं कर पाए हैं। मंदिर पर विवाद बढ़ता देख अब मंदिर पर प्रशासक भी नियुक्त हो चुका है तो भी राजेश भाटिया पिछले कई दिनों से उसका विरोध कर रहे हैं। पहले वह धर्म के नाम पर जनता को भड़का कर मामले को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे हुए थे लेकिन जब वह इस कार्य में सफल नहीं हुए तो अब इसे राष्ट्रीय मुद्दा करार दे रहे हैं। इतना ही नहीं वह जगह-जगह मंदिर से प्रशासक को हटाने के लिए सिफारिशें भी लगवाने में लगे हुए हैं।
राजेश भाटिया पुन: मंदिर पर कब्जा करने के उद्देश्य से जनता के सामने अपनी स्वच्छ छवि का ढिंढोरा पीट रहे हैं। जबकि वह पूर्व में छह अलग-अलग आपराधिक मामलों में संलिप्त हैं। इनमें से एक मामले ने तो इतना अधिक तूल पकड़ा था कि इस मामले की जांच सीबीआई को करनी पड़ी थी, जोकि क्षेत्र की जनता बखूबी जानती है। सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार राजेश भाटिया पर वर्ष 1997 में तत्कालीन बंसीलाल सरकार के दौरान एक डकैती व किडनैपिंग का आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा गया था। उस समय मामले की शिकायतकर्ता ममता अरोड़ा ने आरोप लगाया था कि राजेश भाटिया अपने दोनों भाईयों सहित 8 लोगों के साथ उनके एनआईटी स्थित कार्यालय पर आए, जहां 42 हजार रुपए की नगदी समेत करीब 68 लाख रुपए का सामान जबरन उठा कर ले गए। इतना ही नहीं उनके कार्यालय के दो सिक्योरिटी गार्ड का भी अपहरण कर लिया। उस समय इस मामले ने इतना अधिक तूल पकड़ा था कि कोर्ट ने राजेश भाटिया सहित तीनों भाईयों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए थे। इस मामले में राजेश भाटिया अपने दोनों भाईयों सहित करीब दो माह जेल में भी काट चुके हैं। इस मामले में दो माह पश्चात तीनों की हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत हो पाई थी।
इसके अलावा 20 अगस्त, 2008 को राजेश भाटिया पर एक मामला सट्टा खेलने व खिलाने का भी दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस को एक मुखबिर ने सूचना दी जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक के आदेशों पर दो टीमें बनाई गई जिसमें मुजेसर एसएचओ व बल्लभगढ़ एसएचओ को स्पेशल रेड करने के लिए बुलाया गया था। सट्टा खिलाने के आरोप में पुलिस ने राजेश भाटिया को बालों से घसीटते हुए थाना कोतवाली में लाकर बंद कर दिया था। इस मामले में राजेश भाटिया के साथ अनिल भाटिया (तल्ली), मिथुन तनेजा को भी गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने इनके कब्जे से नगद राशि, 5 मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, टीवी, दो डायरी सहित अन्य सामान बरामद किया था।
इसके अलावा राजेश भाटिया पर एक जुलाई, 2000 में थाना कोतवाली के अंतर्गत धोखाधड़ी व मारपीट का मामला भी दर्ज हुआ था। जबकि तीन फरवरी, 2005 को राजेश भाटिया पर चुनाव के दौरान बूथ कैप्चर करने का मामला भी दर्ज हुआ था जिसमें राजेश भाटिया ने बूथ पर काम कर एजेंट के साथ मारपीट की और उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी। वहीं दो मार्च 2005 में राजेश भाटिया पर थाना कोतवाली में ही मारपीट व जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज है।
जो भी हो, मंदिर की प्रधानी को लेकर हुए इस विवाद ने आखिरकार राजेश भाटिया को जोगेंद्र चावला के कारण मंदिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। -क्रमश: