नवीन गुप्ता
चण्डीगढ़, 18 नवंबर: सूरजकुण्ड में आगामी एक फरवरी से 15 फरवरी, 2016 तक आयोजित किए जाने वाले 30वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2016 में नवगठित राज्य तेलंगाना थीम राज्य होगा। यह जानकारी देते हुए पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव डा० सुमिता मिश्रा ने बताया कि हर वर्ष आयोजित किए जाने वाले इस मेले की यह विशेषता है कि देशभर के राज्यों में से एक राज्य को मेले में थीम राज्य् के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है। सूरजकुण्ड मेले में प्रत्येक वर्ष थीम राज्य से जुड़ी कलाएं, शिल्प और विशेष व्यंजनों को बखूबी और व्यापक तौर पर प्रदर्शित किया जाता है। इसके अलावा, मेले में देशभर के अन्य राज्यों से आए कलाकार भी अपने-अपने राज्य से जुड़ी कलाएं, शिल्प और व्यंजनों का प्रदर्शन करते हैं।
डा० सुमिता मिश्रा ने बताया कि सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में थीम राज्य को यह अवसर दिया जाता है कि वह अपने राज्य से जुड़ी हस्तशिल्प और हथकरघा कलाएं, व्यंजन और वहां की पर्यटन क्षमता को मेले में आने वाले लोगों के बीच बेहतर और व्यापक तौर पर प्रदर्शित करें। सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला फुस की झोपडिय़ां, लोक गीत व संगीत, चमकदार रंग-बिरंगा माहौल, अंलकृत शिल्प और विभिन्न व्यंजनों का आनन्द लेने का जीवन में एक बहुरंगी अनुभव प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि यह मेला ग्रामीण भारत में बसी परंपरागत कलाओं और शिल्प को एक अद्वितीय माहौल प्रदान करके उसे उभारने का काम करता है।
हरियाणा पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक विकास यादव ने बताया कि आगामी 30वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में तेलंगाना की विभिन्न व विविधता से भरी कलाओं और शिल्प के साथ-साथ कलाकारों द्वारा गीत व संगीत को प्रस्तुत करके आंगतुकों को एक अद्वभुत अनुभव प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मेले की तैयारियों और तेलंगाना के थीम राज्य से जुड़ी व्यवस्थाओं व कार्यों के संबंध में तेलंगाना पर्यटन के अधिकारियों से एक बैठक भी आयोजित की गई है। उन्होंने बताया कि तेलंगाना के अधिकारियों ने मेले में तेलंगाना को भव्य रूप से प्रस्तुत करने का आश्वासन भी दिया है। उन्होंने बताया कि 30वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2016 में तेलंगाना की समृद्घ संस्कृति, परंपराएं और शिल्पकारों व कलाकारों द्वारा निर्मित अनन्य कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी दुनियाभर में भारी मांग रहती है। तेलंगाना को ऐतिहासिक परिधानों के डिजाइन और परंपरांगत लोक कलाओं के लिए भी जाना जाता है जिसे शिल्पकारों और बुनकरों की पीढिय़ों ने संजोए रखा है।
उन्होंने बताया कि दक्ष शिल्पकार, उत्कृष्ट कलाकार और व्यंजनों को तैयार करने वाले विशेषज्ञ (शेफ) मेले में भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि मेला परिसर में राज्य की ग्रामीण प्रकृति और लोकाचार के माहौल का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
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