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स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है : टेकचंद शर्मा

जस्प्रीत कौर
फरीदाबाद, 27 नवंबर:
एशियाड इंटरनेशनल फाउंडेशन के सौजंय से गांव मोहना में 9 दिवसीय मोहना उत्सव-2015 का समापन हो गया। समापन समारोह में विधायक टेकचंद शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को बुजुर्गों के अनुभव और युवा-शक्ति का सामंजस्य स्थापित कर स्वस्थ समाज निर्माण में रचनात्मक और सर्जनात्मक सोच के साथ, अपनी कार्य शैली से लोकहित में पूर्वजों द्वारा स्थापित गौरवशाली परम्पराओं को सुरक्षित रखने हेतु निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को भावी पीड़ी के व्यक्तित्व निर्माण में उपयोगी विरासत सुरक्षित रूप से उन तक पहुंचाने में सार्थक भूमिका निभानी चाहिए। समाज में भाई-चारे की भावना बढ़ाने हेतु प्रत्येक व्यक्ति को खेल-कूदों में रूचि रखनी चाहिए। युवाओं को विशेष रूप से क्रीडा-प्रतियोगिताओं में अवश्य हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि खेलों से समाज में भाई-चारे की भावना को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ अपना शरीर भी स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। टेकचंद शर्मा ने इस अनूठे बहु-उद्देशीय कार्यक्रम के सफलतापूर्वक संचालन और समापन पर आयोजक संगठन एवं समस्त मोहना वासियों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा की निकट भविष्य में जल्दी ही सरकार के सहयोग से गांव मोहना में एक जिला स्तरीय क्रीडा परिसर का निर्माण कराया जायेगा जिसके माध्यम से ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को तराशकर प्रदर्शन के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में जीत हासिल कर राष्ट्र का सिर गर्व से ऊंचा किया जा सके। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजक संस्था के संस्थापक चौ० सर्वेश तेजस्वी और चेयरमैन चौ० आदित्य तेजस्वी को हार्दिक बधाई देते हुए कार्यक्रम में आर्थिक सहयोग के लिए पूर्व जिला परिषद् के सदस्य नरेंद्र सिंह (एडवोकेट) और विश्वगौरव की भूरी-2 प्रशंसा की। समापन समारोह को बतौर विशिष्ट अतिथि विश्वकुमार अध्यक्ष,बी.सी.सी.आई.,पलवल) ने सम्बोधित करते हुए कहा की युवाशक्ति किसी भी समाज व देश की आन-बान और शान की प्रतीक है।
युवाओं को समाज में व्याप्त बुराइयों, रूडि़वादी परम्पराओं, वैमनश्य, आपसी भेद-भाव ,अराजकता और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के विरुद्ध एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए इतिहास साक्षी है कि हमेशा किसी भी समाज और राष्ट्र की गौरवशाली रचनाओं गाथाओं और परम्पराओं को स्थापित करने और उन्हें आगे बढ़ाने में युवाओं की एक विशेष भूमिका रही है। 21वीं शताब्धी की तरफ अग्रसर हमारा देश आज पुरे विश्व में युवा राष्ट्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि आज देश के युवाओं की संख्या कुल आबादी में 60 प्रतिशत से ऊपर है यदि आज का युवा अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करे तो वह दिन दूर नही जब हमारे राष्ट्र को विश्व मानचित्र पर एक महाशक्ति के तौर पर अपनी उपस्थति दर्ज कराने से कोई नही रोक सकता। 20151122_16202820151122_161458 (1)


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