सार्वजनिक परिवहन साधनों का प्रयोग करें विद्यार्थी: डॉ० दिनेश कुमार
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 21 जनवरी: वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फरीदाबाद के मानविकी एवं विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय चेतना शक्ति फाउंडेशन के सहयोग से आज ग्लोबल वार्मिंग कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों तथा कार्बन उत्सर्जन के मुद्दे पर चर्चा करना तथा जागरूकता लाना था। जोकि वायु प्रदुष्ण स्तर में वृद्धि का प्रमुख कारण है।
इस अवसर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं भारत सरकार के आवास एवं शहरी गरीबी उंमूलन मंत्रालय में सचिव रहे डॉ० एचएस आनंद मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्त थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ० दिनेश कुमार ने की।
अपने संबोधन में डॉ० आनंद ने ग्लोबल वार्मिंग में ग्रीन हाउस की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैस तथा उच्च स्तर पर कार्बन उत्सर्जन का मामला एक ऐसा मुद्दा है। जिसे वैश्विक स्तर पर हल करने की आवश्यकता है तथा जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने ग्रीन हाउस के प्रभावों को कम करने के लिए ग्रीन बिल्डिंग वर्षा जल संचयन और कृषि प्रबंधन जैसी तकनीकों को अपनाने पर बल दिया।
सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ० दिनेश ने ऊर्जा संरक्षण की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद जैसे औद्योगिक शहर में ऊर्जा संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर सभी को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है और तभी इस फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन कार्बन उत्सर्जन का सबसे बड़ा कारण है। जिसका बड़ा कारण निजी वाहनों पर हमारी निर्भरता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे ग्रीन लाइफ.स्टाइल को अपनाये और मैट्रो रेल जैसे सार्वजनिक परिवहन साधनों का प्रयोग करें क्योंकि वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहन के चलने से होने वाला कार्बन उत्सर्जन भी है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ० सुखबीर ने सेमिनार के निष्कर्षों पर चर्चा की। सेमिनार को डॉ० अरविंद गुप्ता ने भी संबोधित किया। मानविकी एवं विज्ञान विभाग के डीन डॉ० राज कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
कुलपति डॉ० दिनेश कुमार ने मुख्य अतिथि डॉ० आनंद को स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संयोजन पर्यावरण विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डॉ० रेणुका गुप्ता ने किया।