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शिक्षा का व्यवसायीकरण किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए: अशोक अग्रवाल

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 11 जुलाई:
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (आईपा) ने कहा है कि पूरे देश में एक जैसी शिक्षा, सस्ती शिक्षा व सबको शिक्षा मिलनी चाहिए और सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। यह प्रस्ताव आइपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हैदराबाद से आयोजित ऑनलाइन बेबिनार जूम मीटिंग में पारित किया गया। मीटिंग में हरियाणा, पंजाब, कश्मीर, राजस्थान, तेलंगाना, कन्याकुमारी, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश सहित 15 राज्य के छात्र, अभिभावक संगठनों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लेकर आईपा को पूरे देश में मजबूत करने का संकल्प लिया। मीटिंग की अध्यक्षता आर. वेंकट रेड्डी राष्ट्रीय संयोजक एमवी फाउंडेशन ने की।
मुख्य वक्ता के रूप में आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कई बार अपने निर्णय में कहा है कि शिक्षा का व्यवसायीकरण किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए। केंद्र व राज्य सरकारों को इसको रोकने के लिए कार्य करना चाहिए, लेकिन उसके बावजूद आज शिक्षा का व्यवसायीकरण चरम सीमा पर है। सरकारी शिक्षा का बुरा हाल है। शिक्षा दो वर्गों में बट गई है धनाढ्य वर्ग के बच्चों के लिए महंगे प्राइवेट स्कूल और गरीब व मध्यम वर्ग के लिए बच्चों के लिए सरकारी या छोटे-मोटे प्राइवेट स्कूल। यह असमनता दूर होनी चाहिए।
इस मौके पर राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज समय की मांग है कि पूरे देश में एक जैसी शिक्षा, सबको शिक्षा व सस्ती शिक्षा मिलनी चाहिए। आईपा की और से केंद्र सरकार से मांग की गई कि सरकारी शिक्षा में सुधार किया जाए शिक्षा का व्यवसायीकरण करने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान किया जाए। प्राइवेट शिक्षा देने वाले संस्थानों का हर साल सीएजी से ऑडिट कराया जाए, कॉलेज व स्कूल की मैनेजमेंट में 50 प्रतिशत भागीदारी अभिभावकों की व 25 प्रतिशत भागीदारी अध्यापकों की होनी चाहिए, सभी सरकारी स्कूलों का स्तर केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर होना चाहिए। इन सब मांगों को प्रस्ताव के रूप में स्वीकार करते हुए अशोक अग्रवाल को अधिकार दिया गया कि वे इस विषय पर केंद्र सरकार को उचित कार्रवाई करने के लिए मांग पत्र प्रस्तुत करें।
मीटिंग में हरियाणा से सुधा झा, तेलंगाना से धन श्रीप्रकाश, कश्मीर से आसमा गोनी, कन्याकुमारी से शिव कुमारी, राजस्थान से बाबूलाल मीणा, महाराष्ट्र से धर्मेश मिश्रा, उड़ीसा से प्रदिप्ता नायक, झारखंड से रमेश, दिल्ली से अनिल अरोड़ा, महाराष्ट्र से वैशाली आदि ने कोविद-19 के प्रसार की पृष्ठभूमि में स्कूलों के बंद होने के दौरान बच्चों की पढ़ाई व अभिभावकों से वसूली जा रही फीस पर कई राज्यों के हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
हरियाणा की सुधा झा ने बच्चों के कुपोषण, बाल श्रम और शिक्षा से वंचित बच्चों के भविष्य के बारे में अपने विचार साझा किए।
बैठक में आईपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए उसमें प्रत्येक राज्य से एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया। मीटिंग में निर्णय लिया गया कि आईपा की ओर से इस तरह की मीटिंग महीने में एक बार अवश्य की जाएगी और पूरे देश में प्रत्येक राज्य के हर जिले में आईपा का एक प्रतिनिधि मनोनीत करके आईपा का संगठनात्मक विस्तार किया जाएगा।



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