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शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावक एकता मंच ने पत्र लिखा

सोनिया शर्मा
फरीदाबाद, 10 सितम्बर: हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने मुख्य प्रशासक हुडा पंचकुला को पत्र लिखकर हुडा नियमों का उल्लंघन करके शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे निजी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्यवाही कराने की मांग की है। मंच ने अपने पत्र के साथ हुडा के उन नियमों की जानकारी दी है जिनका उल्लंघन करके स्कूल प्रबंधक छात्र व अभिभावकों का मानसिक व आर्थिक शोषण कर रहे हैं। मंच ने यह भी जानकारी दी है कि 2001 में हुडा के नियमों का उल्लंघन सही पाए जाने पर फरीदाबाद के 18 स्कूलों का भूमि आवंटन रद्द कर दिया गया था, लेकिन स्कूल प्रबंधकों ने राजनैतिक कारणों से प्रशासक हुडा फरीदाबाद के पास अपील करके अपने रद्द हुए भूमि आवंटन को बहाल करा लिया था। उस समय उन्होंने आगे से हुडा नियमों का पालन करने का शपथ पत्र देकर अपने स्कूलों को बहाल कराया था लेकिन स्कूल प्रबंधकों ने बहाली वाले दिन से लेकर आज तक पुन: हुडा नियमों का उल्लंघन जारी रखा है। इसका सबूत संपदा अधिकारी फरीदाबाद द्वारा 2001 से लेकर आज तक इन स्कूलों को दिए गए दर्जनों नोटिस हैं।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा द्वारा लिखे गए पत्र में बताया गया है कि मंच का एक प्रतिनिधिमंडल 5 नवम्बर, 2014 को हुडा प्रशासक फरीदाबाद से मिला था और उन्हें ज्ञापन सौंपकर निजी स्कूलों द्वारा किए जा रहे हुडा नियमों के उल्लंघन की जानकारी प्रदान कर दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्यवाही करने की मांग की थी। तब उन्होंने एक महीने के अंदर मंच के ज्ञापन पर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था। एक महीने बाद जब कोई भी उचित कार्यवाही नहीं हुई तो उनको मंच की ओर से रिमाइंडर के तौर पर 14 जनवरी 2015, 21 जनवरी 2015, 24 मार्च 2015 और 16 जून 2015 को चार पत्र दिए गए। इसके बाद 22 जुलाई 2015 को मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासक हुडा पीसी मीणा से मुलाकात करके मंच के पत्रों पर कोई भी उचित कार्यवाही न होने पर नाराजगी प्रकट की। इस पर प्रशासक महोदय ने एक महीने के अंदर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। लेकिन अभी तक निजी स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। कागजी कार्यवाही के तौर पर नोटिस-नोटिस का खेल खेला जा रहा है।
मंच ने मुख्य प्रशासक हुडा को हुडा नियमों की जानकारी देते हुए बताया है कि स्कूल प्रबंधकों को हुडा ने बहुत ही रियायती दर पर 99 साल के पट्टे पर सरकारी जमीन प्रदान की है। दी गई जमीन के भूमि आवंटन पत्र में हुडा ने दर्जनों नियम-कानून स्कूल वालों पर लागू किए हैं, जिनका उल्लंघन स्कूल प्रबंधक कर रहे हैं। हुडा नियमों के तहत निजी स्कूलों में 10 प्रतिशत दाखिला गरीब-पिछड़े व दलित वर्ग के छात्रों को व 10 प्रतिशत दाखिला मेधावी छात्रों को प्रदान करके उनसे सरकारी स्कूलों की भांति फीस वसूलने का प्रावधान है। लेकिन आज तक किसी भी गरीब व मेधावी छात्र को इस नियम के तहत दाखिला नहीं दिया गया है। स्कूल प्रबंधक इस नियम के जवाब में कई छात्रों की फीस माफी का ब्योरा उपलब्ध करा देते हैं। अन्य नियमों के अनुसार स्कूल की दाखिला पॉलिसी व फीस संरचना की जानकारी प्रत्येक स्कूल को शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले हुडा को देनी चाहिए। अपने स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी में हुडा का एक अधिकारी शामिल करना चाहिए। जिस क्षेत्र में स्कूल खुला है उस क्षेत्र के बच्चों को पहले दाखिला देना चाहिए। अपने स्कूल में हुडा द्वारा मंजूर किए गए बिल्ंिडग प्लान से ज्यादा कोई भी फालतू निर्माण स्कूल में नहीं करना चाहिए। अपने स्कूल के अंदर किसी भी प्रकार की दुकान, कोचिंग सेंटर, स्वीमिंग पूल, स्टेडियम, रिहायशी मकान नहीं खोलना चाहिए। जिस कक्षा तक स्कूल चलाने की अनुमति प्रदान की गई है उससे अधिक अपने स्कूल को अपग्रेड नहीं करना चाहिए। लेकिन कोई भी स्कूल उपरोक्त नियमों का पालन नहीं कर रहा है। मंच ने मुख्य प्रशासक हुडा को बताया कि हुडा अधिकारी एक आम शहरी द्वारा मंजूर किए गए बिल्ंिडग प्लान से थोड़ा सा भी अवैध निर्माण कर लेने पर उसे तोडऩे में जरा भी देर नहीं लगाता है जबकि स्कूल प्रबंधकों ने हुडा द्वारा मंजूर किए गए बिल्ंिडग प्लान से अधिक 100 प्रतिशत अवैध निर्माण कर रखा है। अपने स्कूलों को दो से तीन मंजिला बना लिया है। यह हुडा अधिकारियों को दिखाई नहीं देता है। मंच ने मांग की है कि निजी स्कूल प्रबंधकों द्वारा किए गए इस अवैध निर्माण पर भी उचित कार्यवाही की जाए।


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