ऋचा गुप्ता
फरीदाबाद, 5 अक्तूबर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से एनआईटी के दशहरा मैदान में 26 सितंबर से आयोजित अमरनाथ दर्शन आध्यात्मिक मेले का आज सोमवार पांच अक्टूबर को समापन हो गया। मेले का आयोजकों का दावा है कि इन 10 दिनों में साढ़े चार लाख लोगों ने मेला देखा जिससे इस मेले की उपयोगिता सिद्ध हुई।
दशहरा मैदान में 10 दिन तक चले इस अमरनाथ दर्शन आध्यात्मिक मेले में करीब 17 विभिन्न स्टॉलों पर स्वचालिक रोबाटिक्स कलाकृतियों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान दिया गया। इसमें व्यसन मुक्ति, संपन्न एवं सुखमय परिवार, चिंताओं पर विजय पाने, इस लोक और परलोक सुधारने के बारे में, मानव क्या है और इस धरती पर क्यों आया है आदि विषयों पर लोगों ने जानकारी प्राप्त की। यहां पर लोगों को रोज राजयोग का अभ्यास करवाया गया।
एनआईटी स्थित ब्रह्माकुमारी केंद्र की संचालिका बीके ऊषा तथा राजयोगा मैडिटेशन टीचर पूनम वर्मा ने बताया कि मेला को जनता और परमात्मा के बीच सेतू के रूप में आयोजित किया गया था जो अपने उद्देश्य में पूरी तरह से सफल हुआ है। मेले में आने वाले लाखों लोगों ने अपने इस लोक और परलोक के बारे में जानकारी प्राप्त की और सच्चा जीवन जीने की प्रेरणा ली।
राजयोगा मैडिटेशन टीचर पूनम वर्मा ने बताया कि दशहरा ग्राउंड में लगे अमरनाथ आध्यात्मिक मेले में लोगों को राजयोग सिखाया गया। राजयोग के द्वारा जीवन में सुख शांति कैसे आये, इस पर मेले में राजयोग शिविर का आयोजन सुबह-शाम किया गया। इसके अलावा राजयोग मैडिटेशन से हम कैसे आत्मा को स्वच्छ बना सकते हैं और आत्मा पर चढ़े पाप को कैसे खत्म कर सकते है, इस बारे में भी गहराई से बताया गया। राजयोग से हमारी कर्मेन्द्रियां वश में होती है और शरीर में फैली नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने लगती है। साकरात्मक शक्ति का मन और शरीर में संचय होता है और मन शांत होने लगता है, साथ ही आत्मा की सोई हुई शक्तियां जागृत होने लगती हैं। राजयोग से व्यवहार में शुद्वि होने लगती है और जीवन में परिवर्तन आता है।
मेले में कुम्भकरण की झांकी भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी जिसमें आज के मानव की तुलना कुम्भकरण से की गई थी। इस झांकी के माध्यम से बताया गया था कि आज का मानव ज्ञानवर्धक बातों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से कैसे निकाल देता है।