Metro Plus News
उद्योग जगतगुड़गांवफरीदाबादराजनीतिहरियाणा

फ्यूल सरचार्ज को ठीकरा सरकार ने कांग्रेस के सिर फोड़ा

महेश गुप्ता
चंडीगढ़, 5 अक्तूबर:
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य ने कहा है कि बिजली की दरें एवं फ्यूल सरचार्ज सरकार द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता है, बल्कि इसे हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (एचईआरसी) द्वारा निर्धारित किया जाता है। एचईआरसी एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन हरियाणा बिजली सुधार अधिनियम, 1997 और बिजली अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के तहत किया गया है। स्वतंत्र उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा एचईआरसी के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
उन्होंने कहा कि सरकार का या बिजली निगमों का कोई प्रतिनिधि एचईआरसी में कार्यरत नहीं है और एचईआरसी द्वारा बिजली की दरें निर्धारित की जाती हैं। इस समय आयोग में एक चेयरमैन और एक सदस्य कार्यरत है और इनकी नियुक्तियां पिछली सरकार के कार्यकाल में की गई थी।
श्री आर्य ने कहा कि वर्तमान सरकार ने मार्च, 2015 में बिजली विभाग के घाटे पर एक श्वेत पत्र जारी किया गया था, जिसमें बिजली की कंपनियों के सही तथ्य और आंकड़े प्रस्तुत किये गये थे। श्वेत पत्र के अनुसार पिछले 10 वर्षों में हरियाणा बिजली उत्पादन निगम के घाटे में 500 प्रतिशत की और कर्जभार में 200 प्रतिशत की वृद्घि हुई। इसी प्रकार, उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम तथा दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम के घाटे में 2600 प्रतिशत और इनके कर्जभार में 1900 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि डिस्कॉम का 2004-05 में 1,030 करोड़ रुपये घाटा था, जो वर्ष2013-14 में बढ़कर 26,912 करोड़ रुपये हो गया। घाटे में यह बढ़ोतरी 2600 प्रतिशत है। इन निगमों का कर्जभार 31 मार्च, 2004 को 1,458 करोड़ रुपये था, जोकि 31 मार्च, 2014 को बढ़कर 28,199 करोड़ रुपये हो गया। कर्जभार में यह वृद्घि 1900 प्रतिशत है। यह सारा ऋण बोझ पिछली सरकार के कार्यकाल का है और इसकी बदौलत उपभोक्ताओं पर एक रुपया 20 पैसे प्रति यूनिट केवल उपरोक्त ऋण के ब्याज के रूप में ही चुकाना पड़ रहा है।
श्री आर्य ने कहा कि पिछली सरकार ने बिजली कंपनियों के 7366 करोड़ रुपये का कर्जा अपने ऊपर लेने का फैसला किया था। इतना ही नहीं, इसे कैबिनेट से भी 29 मार्च, 2013 को स्वीकृति दिलाई गई थी, किन्तु पिछली सरकार द्वारा उस पैसे की कभी भरपाई नहीं की गई। किन्तु वर्तमान सरकार ने यह फैसला भी लिया कि बिजली कंपनियों का बकाया ऋण भार स्वयं वहन करेंगी, इसके लिए भारत सरकार से सैद्घांतिक स्वीकृति ली गई। इस स्वीकृति के मिलने के बाद बिजली कंपनियों के मध्यावधि एवं दीर्घावधि कर्जे के 25,000 करोड़ रुपये सरकार अपने खाते में ले लेगी। इससे बिजली कंपनियों का ऋण भार कम हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ता को जाएगा, जिससे बिजली की दरों में कमी आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि बिजली की बढ़ी हुई दरों के बारे में विपक्षी पार्टियां चाहे कुछ भी दुष्प्रचार कर रही हों किन्तु सच्चाई यह है कि मई 2015 में बिजली दरों में 8.51 प्रतिशत की वृद्घि हुई थी। पिछली सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में प्रदेश में बिजली दरों में 15 प्रतिशत की वृद्घि किये जाने का फैसला किया गया था और इसकी सैद्घांतिक स्वीकृति भी तत्कालीन सरकार द्वारा 29 मार्च, 2013 को मंत्रिमण्डल की बैठक से ले ली गई थी। वर्तमान में इस सबके बावजूद भी मात्र 8.51 प्रतिशत की वृद्घि ही की गई, जबकि उपरोक्त करार के तहत तो 15 प्रतिशत की वृद्घि की जा सकती थी। विपक्ष का यह भी मिथ्या एवं भ्रामक प्रचार है कि इस साल पहली बार फ्यूल सरचार्ज लगाया गया, जबकि वर्ष 2012-13 में 58 पैसे प्रति यूनिट तथा 2013-14 में 34 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज लगाया गया था, जबकि अब आयोग ने 37 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज लगाया है।
यह भी गौरतलब है कि वर्ष 2009 में बिजली विभाग में आर-एपीडीआरपी के तहत कम्प्यूटराइजेशन प्रणाली को अपनाया जाना था, जिसके तहत सभी उपभोक्ताओं के सही रीडिंग एवं बिलिंग व्यवस्था को सुदूढ़ किया जाना था, जिसके लिए भारत सरकार द्वारा 221 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाना था। किन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछली सरकार द्वारा अपने बाद के पांच साल के पूरे कार्यकाल में इसे लागू नहीं किया गया। अगर यह व्यवस्था समय पर लागू हो जाती तो बिजली के बिलों की ढेर सारी परेशानियां समाप्त हो जाती। वर्तमान सरकार ने इस पर कार्य शुरू किया है और इसे लागू करने के लिए कृत संकल्प है।
वर्तमान सरकार ने सत्ता संभालते ही प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कार्य किया। उपभोक्ताओं की समस्याओं के मौके पर ही समाधान के लिए स्पेशल काऊंटर बनाये गये। उपभोक्ताओं को दो या तीन किस्तों में अपने बिजली के बिल अदा करने की सुविधा दी गई हैै, लघु उद्योगों में जहां केवीएएच मीटर नहीं लगे हैं वहां पर बिलिंग 0.9 पावर फैक्टर के आधार पर की गई है। लघु उद्योगों को पॉवर फैक्टर को वांछित स्तर पर बनाये रखने के लिए समुचित कैपेस्टर लगाने में सहायता की जा रही है। बिजली के बिल जारी करने से पहले बिलिंग एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट की संबंधित एसडीओ द्वारा जांच करने की हिदायतें जारी की गई हैं ताकि बिलों में किसी भी तरह की अनियमितता न रहे।


Related posts

मानव रचना सेंटर फोर फॉरन लैंगवेज ने सेकेंड बैच की शुरुआत के लिए हवन का किया आयोजन

Metro Plus

MCF के भ्रष्ट्र अधिकारियों पर नकेल कस आमजन के हित में किए जाएंगे कार्य: यशपाल यादव

Metro Plus

..जब मरने से बच गए कई एडवोकेट ?

Metro Plus