महेश गुप्ता
नई दिल्ली/फरीदाबाद, 17 अक्टूबर: हरियाणा पुलिस का रोंगटे खड़े करने वाला कारनामा सामने आया है। पुलिस ने बीपीओ कर्मी जिगिसा घोष के शव के हाथ की दसों उंगलियां कटवाकर एफएसएल भेजी थीं, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। बेटी के शव के साथ क्रूरता की दर्दनाक दास्तां सुनकर जिगिसा के माता-पिता कोर्ट में रो पड़े। साकेत जिला अदालत में जिगिसा घोष हत्याकांड की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस भी इस बात का जवाब नहीं दे पाई कि उंगलियां क्यों काटकर भेजी थीं।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता दीपक शर्मा से वसंत विहार थाने के तत्कालीन एसएचओ पलविंदर सिंह चहल ने कहा था कि फरीदाबाद के अस्पताल में जिगिसा के शव का पोस्टमोर्टम पुलिस वाले ही करवा रहे थे, लेकिन उंगलियां काटने की जानकारी उनके सामने नहीं आई। बता दें कि जिगिसा के शव का पोस्टमार्टम बादशाह खान अस्पताल में हुआ था। हरियाणा पुलिस के एसआई राज सिंह के कहने पर शव की दसों उंगलियां काटकर जांच के लिए करनाल स्थित मधुबन के एफएसएल भेजी गई थीं। उस समय एसआई राज सिंह सूरजकुंड थाने में तैनात था और जिगिसा का शव इस इलाके से 20 मार्च 2009 को एक शख्स हाकम की सूचना पर बरामद किया था। शव के पंचनामे व पोस्टमार्टम की कार्रवाई सूरजकुंड थाने के एसआई राज सिंह ने पूरी की थी। इसके कहने पर बादशाह खान अस्पताल के डॉक्टरों ने जिगिसा के शव की उंगलियां काटी थीं।
एफएसएल मुधबन करनाल की सीनियर साइंटिफिक अफसर गायत्री सेन ने एक अप्रैल 2013 को अपने बयान में कहा था कि उसे जांच के लिए 19 मई 2009 को तीन पार्सल मिले थे। इनमें दो पार्सल में जिगिसा के कपड़े, सेंडल व दूसरा सामान था। एक पार्सल में शव की उंगलियां थीं। यह उंगलियां एक जार में रखी गई थीं। सेन ने कहा कि उन्होंने 50 से ज्यादा मामलों की एफएसएल जांच की थी लेकिन कभी ऐसा नहीं देखा। एफएसएल जांच के लिए उंगलियां भेजने की कोई जरूरत नहीं थी। ऐसा करने के लिए राज सिंह ने किसी अधिकारी की अनुमति भी नहीं ली थी। पेश मामले में वसंत विहार थाना पुलिस ने जिगिसा घोष हत्याकांड में रवि कपूर व उसके अन्य साथियों को 23 मार्च 2009 को गिरफ्तार किया था। पुलिस की पूछताछ के दौरान इन आरोपियों ने पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या की बात भी स्वीकार की थी।
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