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पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमाचार्य बने प्रहलाद शर्मा और मां अशरफी देवी की लड़ाई अब सड़कों पर

परिवहन क्लर्क से पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमाचार्य बने प्रहलाद शर्मा पर उसी की मां ने लगाए गंभीर आरोप
मात्र छह साल में अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक बनें स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
हनुमान मंदिर की तर्ज पर आश्रम को प्रशासनिक हाथों में देने की लगाई गुहार
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 2 नवम्बर:
उत्तरप्रदेश परिवहन निगम मेें वर्ष 2009 तक क्लर्क पद पर कार्यरत रहे प्रहलाद शर्मा (वर्तमान में सूरजकुंड स्थित सिद्धदाता आश्रम के पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमाचार्य) के पास इतना पैसा आएगा, शायद किसी ने सोचा नहीं था। वह अपनी बेटी की शादी दिल्ली के किसी पांच सितारा होटल में करेगा और गिफ्ट में 4.50 करोड़ रुपए की कार भी देगा। इस बात की किसी को भनक भी नहीं लगती यदि उसके विरुद्ध अशरफी देवी और मोहिंद्र शर्मा ने फरीदाबाद की एक अदालत में सिविल मामला दायर कर एक बड़े जनहित सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट का मुद्दा न उठाया होता।
इस सारे मामले की पोल खोलने वाले पारिवारिक सदस्य ही हैं। असल में मोहिंद्र शर्मा को उक्त ट्रस्ट के आजीवन ट्रस्टी के पद से हटा दिया गया। श्री शर्मा व अशरफी देवी ने पूर्व अतिरिक्त सोलिस्टर जनरल मोहन जैन के माध्यम से इस फैसले को चुनौती दी और अब श्री शर्मा का हटाने के प्रस्ताव पर अतिरिक्त सैशन जज वाईएस राठौर ने रोक लगा दी है। अभी ट्रस्ट को किसी सुरक्षित हाथ में सौंपने के आग्रह पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
याचिका में अशरफी देवी व मोहिंद्र शर्मा ने ट्रस्ट में फंड का गबन करने संबंधी गंभीर आरोप लगाए हैं। मोहन जैन ने अदालत को बताया कि वर्ष 2009 तक क्लर्क के पद पर कार्यरत रहे प्रहलाद शर्मा (पुरुषोत्तमाचार्य)ने धोखाधड़ी कर ट्रस्ट के फण्ड का दुरुपयोग किया। ट्रस्ट के संस्थापक शंभुदयाल (स्वामी सुदर्शनाचार्य) ने अशरफी देवी व मोहिंद्र शर्मा और प्रहलाद शर्मा को आजीवन ट्रस्टी नियुक्त किया था। श्री जैन ने तो यहां तक कह दिया कि ट्रस्ट का प्रस्ताव ही फर्जी है क्योंकि उस पर केवल प्रहलाद शर्मा के हस्ताक्षर हैं, जबकि ट्रस्ट के संस्थापक उस समय जीवित थे, जब इस पर हस्ताक्षर हुए। कुछ अन्य दस्तावेजों के साथ छेड़छाड का भी आरोप लगाया गया है।
श्री जैन ने कहा कि ट्रस्ट के संविधान में आजीवन ट्रस्टीज को हटाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। यह मुद्दा स्थानीय पुलिस के पास भी एक बार पहुंचा था। श्री जैन ने बताया कि सूरजकुंड स्थित सिद्धदाता आश्रम में गुरू माता से भक्तों को मिलने तक नहीं दिया जाता और जो भक्त जबरदस्ती माता से मिलने का प्रयास करते है तो उन्हें धमकी तक दे दी जाती है और इसको लेकर आश्रम में बाउंसर भी रखे गए है।
श्री जैन अदालत को बताया कि संचालकों की हठधर्मिता, मनमानी व अनैतिक कार्याे को देखते हुए अशरफी देवी (गुरुमाता) आश्रम का संचालन एक नंबर हनुमान मंदिर की तरह प्रशासनिक हाथों में सौंपने के लिए भी तैयार है।
इस मामले में पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमाचार्य उर्फ प्रहलाद शर्मा से बात करने की कौशिश की गई लेकिन उनसे बात ना हो सकी।
-क्रमश:


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